sone ki chidiya ki kahani
सोने की चिड़िया की कहानी

 

लालची किसान और सोने की चिड़िया की कहानी

 

बहुत समय पहले की बात है । एक पीपल के पेड़ के नीचे एक चिड़िया का बच्चा जख्मी हालत में पडा था। वंहा से एक किसान गुजरा। किसान ने चिड़िया के बच्चे को तडपते हुए देखा तो उसने उसे उठा लिया और अपने घर ले आया और चिड़िया की बच्चे की मलहम पट्टी की और दाना पानी दिया ।

 

एक दो दिन में चिड़िया का बच्चा एकदम स्वस्थ और ठीक हो गया । किसान के बच्चे दिन भर चिड़िया के बच्चे के साथ खेलते रहते थे धीरे धीरे चिड़िया का बच्चा बड़ा होने लगा । उसके छोटे छोटे पंख निकल रहे थे उसके पंखों का रंग सुनहरी था ।

 

धीरे धीरे समय बीतता गया। चिड़िया का बच्चा बड़ा हो चूका था और उसके पंख भी बड़े बड़े हो चुके थे । चिड़िया और किसान के बच्चे दिन भर साथ साथ खेलते रहते थे ।

 

एक दिन चिड़िया का एक पंख टूटकर गिरा तो किसान के बच्चों ने उसे उठा लिया और अपने पिता को दिखाया । किसान उस सुनहरी पंख को देख कर आश्चर्य चकित हुआ और उस सुनहरी पंख को लेकर सुनार के पास गया । सुनार ने किसान को कहा की ये पंख असली सोने का है । किसान ने उस सुनहरी पंख को बेचकर खूब सारे रुपये ले लिये ।

 

अब किसान का जीवन अच्छा कट रहा था । चिड़िया का प्रत्येक चार पांच दिन में एक पंख टूटकर गिर जाता था और किसान उसे बेचकर खूब सारे रूपये ले आता था ।

 

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चिड़िया की कहानी

 


एक दिन किसान बेठा बेठा सोच रहा था । अब किसान के मन में लालच आ चूका था । किसान ने सोचा की क्यों ना इस चिड़िया के सारे पंख आज ही तोड़ के एक साथ बेच दूँ तो खूब सारे रूपये मिलेंगे ।

 

किसान ने चिड़िया को पकड़ा और उसके सारे सुनहरी पंख एक साथ तोड़ने लगा चिड़िया दर्द से चिल्ला रही थी । किसान के बच्चे भी अपने पिता को ऐसा करने से मना कर रहे थे लेकिन किसान ने अपने बच्चों की बात नहीं मानी और चिड़िया के सारे पंख उखाड़ लिए और चिड़िया को मरी हुवी समझ कर घर से बाहर फेंक दिया ।

 

किसान सारे सुनहरी पंख लेकर बेचने के लिए शहर गया वंहा पर उसने एक सुनार की दुकान पर जाकर सारे पंख बेच दिए और खूब सारे रुपये लेकर घर आ गया ।

 

कुछ दिन बाद सुनार अपने साथ पुलिस को लेकर किसान के घर आया । पुलिस ने किसान को पकड लिया, सुनार ने किसान पर उसके साथ धोखा करने का आरोप लगाया था । सुनार ने कहा की किसान ने उसे जो सुनहरी पंख दिए है वो सब पीतल के है। सुनार ने किसान से कहा की उसके सारे रूपए लोटा दे लेकिन किसान ने उन रुपयों को खर्च कर दिया था । इसलिए पुलिस ने किसान को जेल में डाल दिया ।

 

किसान के पत्नी और बच्चे बहुत परेशान हो रहे थे । उन्हें अपने पिता को बचाने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था । अंततः किसान की बड़ी बेटी सुकन्या ने उस सुनहरी चिड़िया को खोजना शुरू किया ।

 

 चिड़िया की कहानी

 

किसान की पुत्री जंगल में उस सुनहरी चिड़िया को खोजती रही । सुनहरी चिड़िया को खोजते खोजते उसे एक झोपडी नजर आई । उसने पानी पीने के लिए झोपडी में प्रवेश किया । झोपडी में एक साधू माहत्मा बेठे थे । किसान की पुत्री सुकन्या ने साधू महात्मा से सुनहरी चिड़िया के बारे में पूछा और साधू महात्मा को सारी बात बताई ।

 

साधू महात्मा ने सारी कहानी सुनकर सुकन्या को कहा की जिस सुनहरी चिड़िया की तुम बात कर रही हो वो मेरी चिड़िया है और मेरे पास है । तुम्हारे पिता ने लालच के चलते चिड़िया के बुरी तरह से पंख उखाड़ लिए थे । इसलिए तुम्हारे पिता को दण्ड मिलना ही चाहिए ।

 

साधू महात्मा ने सुकन्या को बताया की सुनहरी चिड़िया के पंख उसके सुख और दुःख पर निर्भर है। यदि सुनहरी चिड़िया सुखी होती है तो उसके पंख सोने के बनकर झड़ते है और अगर दुखी होती है तो पीतल की बनकर झड़ते है । क्योंकि तुम्हारे पिता ने सुनहरी चिड़िया को दर्द और तकलीफ देकर उसके पंख तोड़े थे इसलिए वो पीतल के थे ।

 

सुकन्या ने साधू महात्मा को कहा की श्रीमान मुझे मेरे पिता को बचाने के लिए उस सुनार को सोने के बारह पंख देने होंगे तब ही मेरे पिता कैद से आजाद होंगे । आप कैसे भी करके मेरे पिता को बचाइए और सुकन्या रोने लगी ।

 

 चिड़िया की कहानी

 

सुकन्या को दुखी देख साधू महात्मा और सुनहरी चिड़िया को बहुत दुःख हो रहा था । सुनहरी चिड़िया को सुकन्या के द्वारा दिया गया प्यार याद आ रहा था । इसलिए सुनहरी चिड़िया ने भी साधू महात्मा से निवेदन किया की सुकन्या को सोने के बारह पंख दे दीजिये ।

 

साधू महात्मा ने एक मटकी में से बारह सोने के पंख निकालकर सुकन्या को दे दिए और सुकन्या ने वो बारह सोने के पंख सुनार को दे कर अपने पिता को आजाद करवा लिया ।

 

शिक्षा :- दोस्तों इस सोने की चिड़िया की कहानी से हमे सिखने को मिलता है की हमेशा परेशान लोगो की मदद करो और लालच बुरी बला है और किसी के साथ की गयी भलाई हमेशा काम आती है ।

 

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