नन्ही परी की कहानी | Nanhi Pari Ki Kahani |
नन्ही परी की कहानी | Nanhi Pari Ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक गरीब औरत अपनी चार छोटी लड़कियाँ के साथ रहती थी। सबसे छोटी लड़की का नाम नन्ही परी था। चारो छोटी लड़कियां अपनी माता से खाने के लिए ब्रेड और नई फ्रॉक और टोपी और जूते-मोजे मांगती थी, लेकिन उनकी माँ केवल उनके रोज के खाने का ही बड़ी मुश्किल से प्रबंध कर पाती थी ।
गरीब औरत हर साल बसंत के महीने में कुछ उन खरीद कर सबसे बड़ी लड़की जलपरी के लिए एक फ्रॉक बनाती थी और जलपरी की पुरानी फ्रॉक उससे छोटी बेटी रतन परी को दे देती और रतन परी की पुरानी फ्रॉक दीपपरी को दे देती और दीपपरी की पुरानी फ्रॉक नन्ही परी को मिल जाती थी चारों बहने उन फ्रॉक को पहन कर बड़ी खुश होती थी ।
एक दिन चारों बहने जंगल में खेलने के लिए गईं, और दिन भर जंगल में खेलती रही, धीरे धीरे अँधेरा होने लगा तीनों बड़ी बहने घर जाने के लिए रवाना हो गयी लेकिन नन्ही परी फूलों को लेने के लिए पेड़ों के बीच अकेली रह गयी, नन्ही परी अकेली जंगल में डर रही थी, नन्ही परी इधर उधर दौड़ी और अपनी बहनों को खोजा लेकिन वो जा चुकी थी ।
जब नन्ही परी जंगल में अपनी बहनों को खोजने के लिए दौड़ी तो उसकी फ्रॉक एक कांटे की झाड़ी में फंस गई और सारी फट गई।
नन्ही परी की कहानी | Nanhi pari ki kahani
नन्ही परी ने अपनी फटी फ्रॉक को देखा और जोर जोर से रोना शुरू कर दिया, क्योंकि नन्ही परी जानती थी कि अगले साल तक उसे दूसरी फ्रॉक नहीं मिल सकती है।
नन्ही परी को रोता देख एक सफ़ेद भेड़ का मेमना वंहा आया और उसने नन्ही परी से पूछा, "नन्ही परी, तुम क्यों रो रही हो ?"
नन्ही परी ने कहा, "मैं रो रही हूं क्योंकि मैंने अपनी फ्रॉक फाड़ ली है और अगले साल के बसंत तक मेरे पास पहनने के लिए फ्रॉक नहीं है।"
सफ़ेद मेमने ने कहा, "नन्ही परी, नन्ही परी"। "मैं तुम्हें एक नई फ्रॉक बनाने के लिए कुछ ऊन दे सकता हूँ।"
और सफेद मेमने ने उसे कुछ नरम सफेद ऊन दे दिया।
नन्ही परी अपने घर जाने के लिए रवाना हो गयी, तभी रास्ते में नन्ही परी को एक जंगली झाड़ी मिली । जंगली झाड़ी ने नन्ही परी से पूछा "तुम्हारे पास क्या है ?
नन्ही परी ने कहा, "सफ़ेद भेड़ के मेमने ने मुझे नई फ्रॉक बनाने के लिए कुछ ऊन दी है।"
जंगली झाड़ी ने नन्ही परी से कहा की उन से फ्रॉक बनाने के लिए इस उन को कंघी करनी पड़ेगी ये उन मुझे दो, में इसे कंघी कर देती हूँ ।
नन्ही परी ने जंगली झाड़ी को सफेद ऊन दे दिया, और जंगली झाड़ी ने इसे अपने मजबूत कांटों से कंघी कर दिया ।
नन्ही परी की कहानी | Nanhi pari ki kahani
नन्ही परी अपने घर जाने के लिए रवाना हो गयी, तभी आगे रास्ते में नन्ही परी को एक पेड़ पर मकड़ी मिली । मकड़ी ने नन्ही परी से पूछा "तुम्हारे पास क्या है ?
नन्ही परी ने कहा, "सफ़ेद भेड़ के मेमने ने मुझे नया फ्रॉक बनाने के लिए कुछ ऊन दिया और जंगली झाड़ी ने उसे कंघी कर दिया ।"
मकड़ी ने नन्ही परी से कहा की उन से फ्रॉक बनाने के लिए इस उन को कात कर धागा बनाना पड़ेगा ये उन मुझे दो में इसे कात कर धागा बना देती हूँ ।
नन्ही परी ने मकड़ी को सफेद ऊन दे दिया, और मकड़ी ने इसे कात कर धागा बना दिया ।
नन्ही परी अपने घर जाने के लिए रवाना हो गयी, तभी आगे रास्ते में नन्ही परी को एक पेड़ पर पिचा मिला। पिचा ने नन्ही परी से पूछा "तुम्हारे पास क्या है ?
नन्ही परी ने कहा, "सफ़ेद भेड़ के मेमने ने मुझे नया फ्रॉक बनाने के लिए कुछ ऊन दिया और जंगली झाड़ी ने उसे कंघी कर दिया और मकड़ी ने कात कर धागा बना दिया।"
पिचा ने नन्ही परी से कहा की उन से फ्रॉक बनाने के लिए इस उन के धागे से कपडा बनाना पड़ेगा ये उन मुझे दो में इसे कपडा बना देता हूँ।
नन्ही परी ने पिचा को सफेद ऊन का धागा दे दिया, और पिचा ने इसे बुनकर कपडा बना दिया ।
नन्ही परी अपने घर जाने के लिए रवाना हो गयी, तभी आगे रास्ते में नन्ही परी को एक केकड़ा मिला। केकड़े ने नन्ही परी से पूछा "तुम्हारे पास क्या है ?
नन्ही परी ने कहा, "सफ़ेद भेड़ के मेमने ने मुझे नया फ्रॉक बनाने के लिए कुछ ऊन दिया और जंगली झाड़ी ने उसे कंघी कर दिया और मकड़ी ने कात कर धागा बना दिया और पिचा ने इसे बुनकर कर कपडा बना दिया।"
नन्ही परी की कहानी | Nanhi pari ki kahani
केकड़े ने नन्ही परी से कहा की उन से फ्रॉक बनाने के लिए इस उन के कपडे की कटिंग करनी पड़ेगी ये उन का कपडा मुझे दो में इसे कटिंग कर देता हूँ ।
नन्ही परी ने केकड़े को सफेद ऊन के धागे का कपडा दे दिया, और केकड़े ने अपने तीखे दांतों से इसे फ्रॉक के लिए कटिंग कर दिया ।
नन्ही परी अपने घर जाने के लिए रवाना हो गयी, तभी आगे रास्ते में नन्ही परी को एक पेड़ पर टिकटिक मिला। टिकटिक ने नन्ही परी से पूछा "तुम्हारे पास क्या है ?
नन्ही परी ने कहा, "सफ़ेद भेड़ के मेमने ने मुझे नया फ्रॉक बनाने के लिए कुछ ऊन दिया और जंगली झाड़ी ने उसे कंघी कर दिया और मकड़ी ने कात कर धागा बना दिया और पिचा ने बुनकर कपडा बना दिया और केकड़े ने इसे फ्रॉक के लिए कटिंग कर दिया।"
टिकटिक ने नन्ही परी से कहा की उन से बने इस कपडे से फ्रॉक बनाने के लिए इस उन के कटिंग हुए कपडे को सिलना पड़ेगा, ये ऊन का कपडा मुझे दो, में इसे सिलकर फ्रॉक बना देता हूँ ।
नन्ही परी ने टिकटिक को सफेद ऊन से बना कटा हुआ कपडा दे दिया, और टिकटिक ने इसे अपनी तीखी चोंच से सिलाई कर एक सुन्दर फ्रॉक बना दी ।
नन्ही परी अपनी एकदम नई सफ़ेद फ्रॉक देखकर बहुत खुश हो रही थी, ये उसके जीवन की पहली नई फ्रॉक थी, नन्ही परी ने उस फ्रॉक को पहना और ख़ुशी ख़ुशी गाने गाती हुई अपने घर चली गयी ।
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परी की कहानी (2)-
एक समय की बात है, कहीं दूर, एक जादुई जंगल में, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ एक सुंदर राज्य बसा हुआ था। इस जंगल में एक प्यारी सी परी रहती थी जिसका नाम लीला था। लीला परी बहुत ही साहसी और दयालु थी।
लीला परी का राज्य उसकी सुंदरता और उसकी शक्ति से प्रसिद्ध था। उसकी आंखों में चमक और हंसी में जादू था जो किसी को भी मोहित कर सकता था। परीयों की दुनिया में, वह सबसे प्यारी और समझदार परी थी।
एक दिन, जंगल में एक गरीब बच्चा मिला। बच्चा भूखा और अजनबी था। लीला परी ने उस बच्चे की देखभाल की और उसे अपने महल में ले आई। वह उसे प्यार से पालती थी और उसकी जरूरतों का ख्याल रखती थी। बच्चा बड़ा होता गया और लीला परी की सबसे अच्छी दोस्त बन गया।
एक दिन, जंगल में एक बड़ा संकट आया। एक जहरीला सांप जंगल में आ गया और सभी पशु-पक्षियों को डराकर मारने लगा। लीला परी ने उस संकट का सामना किया और उस जहरीले सांप को जंगल से बाहर निकाल दिया। उसने जंगल को फिर से शांति और सुरक्षा से भर दिया।
इस कारण से, जंगल के सभी पशु-पक्षी और परियाँ लीला परी की महानता और साहस की कथाएँ सुनती थीं। वह जंगल की सबसे प्रमुख परी बन गई थी और उसका नाम सम्मान और शक्ति के प्रतीक बन गया था।
इस प्रकार, लीला परी ने जंगल की सुरक्षा की और अपने प्रेम और साहस से जंगल के निवासियों की रक्षा की। उसकी विशालकाय प्रेम और सच्चाई ने उसे सच्ची महान परी बना दिया। और इसी प्रकार, लीला परी की कथा सदैव जंगल के हर कोने में गूंजती रही।