जादुई परी की कहानी
जादुई परी की कहानी

बहुत सारी छोटी छोटी जादुई परी की कहानी

 

दोस्तों आज हम बहुत सारी छोटी छोटी जादुई परी की कहानी पढेंगे। दोस्तों इन छोटी छोटी परीयों की जादुई दुनिया को हम इन कहानियों से जानने को कोशिश करेंगे। में आशा करता हु की आपको ये परी की कहानियां पसंद आएगी। चलिए पढ़ते है असली परी की कहानियां और आनंद लेते है ।

 

जादुई परी की कहानी

 

सिंडरेला और जादुई परी की कहानी

 

सिंडरेला की दुष्ट सौतेली माँ और सौतेली बहने हमेशा सिंडरेला को किसी ना किसी तरह परेशान करती है। उसे स्वयम्बर विवाह समारोह में जाने नहीं देतीं। क्योंकि सिंडरेला बहुत खुबसूरत थी।

 

cindrela aur jadui pari ki kahani
सिंडरेला और जादुई परी की कहानी

सिंडरेला की दुष्ट सौतेली माँ और सौतेली बहनो को लगता है की अगर सिन्ड्रेला स्वयम्बर में जाएगी तो निश्चित रूप से राजकुमार सिन्ड्रेला को ही पसंद करेगे। इसलिए दुष्ट सौतेली माँ और सौतेली बहने सिन्ड्रेला के कपडे फाड़ देती है ।

 

लेकिन सिन्ड्रेला की मरी हुवी माँ जो अब परी बन चुकी है। सिन्ड्रेला की हमेशा किसी ना किसी तरह से सिन्ड्रेला की मदद करती है ।

 

जब सिन्ड्रेला की दुष्ट सौतेली माँ और सौतेली बहने सिन्ड्रेला के कपडे फाड़ कर सिन्ड्रेला को स्वम्बर में जाने से रोकती है तो सिन्ड्रेला की माँ जो अब परी बन चुकी है सिन्ड्रेला के फटे हुवे कपड़ों को अपने जादू सही कर देती है ।

 

लेकिन परी कहती है की उसका यह जादू केवल आज रात को बारह बजे तक ही चलेगा और बारह बजे की बाद ये कपडे वापस पहले जेसे हो जायेंगे ।

 

सिन्ड्रेला स्वम्बर में जाती है और राजकुमार के साथ नृत्य करती है। राजकुमार को सिन्ड्रेला से प्यार हो जाता है। चूंकि सिन्ड्रेला को रात के बारह बजे से पहले स्वम्बर से जाना होता है। इसलिए सिन्ड्रेला बारह बजे से एक मिनट पहले स्वम्बर से भाग जाती है ।

 

लेकिन भागते वक़्त सिन्ड्रेला की एक चप्पल स्वम्बर में ही खो जाती है। राजकुमार को सिन्ड्रेला की चप्पल मिलती है राजकुमार उस चप्पल की सहायता से सिन्ड्रेला को ढूंढ लेता है और सिन्ड्रेला से विवाह कर लेता है। दोनों खुशी-खुशी जीवन बिताते है । 

 

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परी की कहानी

 

मोची और जादुई परी की कहानी

 

बहुत समय पहले की बात है। एक गरीब मोची अपने परिवार के साथ एक गाँव में रहता था। गाँव में जूते ठीक करने के काम से उसके परिवार का भरणपोषण नहीं हो रहा था। मोची के परिवार को दो समय का भोजन करना भी मुश्किल हो गया था। 

 

mochi aur jadui pari ki kahani
मोची और जादुई परी की कहानी

 

इस कारण मोची बहुत परेशान था । मोची इसी चिंता के कारण गाँव के पास के जंगल में बेठा बेठा अकेला रो रहा था । उसी समय वंहा से एक जादुई परी गुजरी ।

 

जादुई परी ने मोची को परेशान हाल में देखा । परी को मोची पर दया आ गयी । परी ने मोची के सहायता करने की सोची ।

 

अगले दिन जब मोची सबह उठा तो उसे उसके दरवाजे के बाहर एक जोड़ी जूते पड़े मिले । मोची ने उन जूतों अच्छे दामों में बचकर थोड़े रुपये कमा लिए और अपना और अपने बच्चों का पेट भर लिया। यह देखकर परी बहुत खुश हुई ।

 

अगले दिन सुबह मोची को फिर अपने दरवाजे के आगे एक जोड़ी जूते मिले। मोची ने उन्हें भी बेचकर रुपये कमा लिए।  मोची को हर रोज एक जोड़ी जूते मिलने लगे और मोची और उसके परिवार का जीवन बड़े ही मजे में कटने लगा।

 

लेकिन मोची अब यह जानना चाहता था की रोज रात को उसके दरवाजे पर जूते की एक नई जोड़ी कोन रखकर जाता है। इसलिए मोची अपने घर के पास छुपकर यह देखने के लिए पूरी रात जागता रहा की जूते की जोड़ी कोन रखकर जाता है ।

 

जब रात के बारह बजे। तो मोची ने देखा की एक जादुई उड़ने वाली परी उड़ते उड़ते उसके घर के आगे आई और अपने जादू से एक जोड़ी जूते बनाये और उसके दरवाजे की आगे रख दिए ।

 

यह देख कर मोची झाड़ियों के पीछे से निकल कर आया और जादुई परी को धन्यवाद दिया। मोची ने परी से कहा की में आपका शुक्रिया केसे करू।

 

परी ने कहा की तुम इस गाँव के गरीब लोगो की मदद करो। जब तक तुम गाँव के गरीब लोगो की मदद करोगे तब तक तुम्हारे दरवाजे पर तुम्हे एक जोड़ी जूते मिलते रहेंगे। और मुझे भी अच्छा लगेगा। तुम इसी तरह से मेरा धन्यवाद कर सकते हो ।

 

उसके बाद से मोची हमेशा गाँव के परेशान लोगो की मदद करता और जादुई परी के वादे के अनुसार मोची को हर रोज उसके घर के दरवाजे के आगे एक जोड़ी जूते मिलते थे ।

 

परी की कहानी

 

मुर्ख राजा और परी की छड़ी की कहानी

 

बहुत समय पहले की बात है। एक राज्य का राजा बहुत ही मुर्ख था। उस राज्य का शासन भी उस राज्य का दुष्ट सेनापति ही करता था। सेनापति अपनी मर्जी से राजा को बहला फुसला कर अपना मन चाहा कार्य राजा से करवाता था। 

 

murkh raja aur pari ki chadi ki kahani
मुर्ख राजा और परी की छड़ी की कहानी

उस राज्य में भीम सैन नामक एक मंत्री था जो अपनी बुद्धिमानी के वजह से जाना जाता था। दुष्ट सेनापति उससे बहुत ईर्ष्या करता था ।

 

भीम सैन यह देख कर बहुत परेशान था की सेनापति राजा को बहला फुसला कर उस से अनेतिक अन्याय वाले फैसले करवाता है। भीम सैन राजा को बहुत समझाता की सेनापति उस से जानबूझकर गलत फैसले करवाता है और वह खुद राजा बनना चाहता है। लेकिन राजा समझने को तेयार ही नहीं था। 

 

जब सेनापति को यह पता चला की भीम सैन राजा को समझा रहा है और इस के चलते उसकी राजा बनने की योजना असफल हो सकती है।

 

सेनापति ने एक योजना बनाई और राजा से कहा की महाराज हमारे मंत्री भीम सैन के पास एक जादुई परी की छड़ी है। जिस से वो अदर्श्य होने वाले कपडे बना सकते है।

 

भीम सैन को सर्वप्रथम ये बात आपको बतानी चाहिए थी लेकिन भीम सैन इस राज्य पर राज करना चाहता है। इसलिए उसने यह बात आपको नहीं बताई ।

 

राजा भीम सैन को बुलाने का हुक्म देता है। भीम सैन राजा के समक्ष प्रस्तुत होता है। राजा भीम सैन को जादुई परी की छड़ी से गायब होने होने वाले कपडे बनाने का हुक्म देता है ।

 

भीम सैन राजा से निवेदन करता है की ऐसी कोई जादुई परी की छड़ी उसके पास नहीं है। लेकिन राजा सेनापति की बातों में आकर भीम सैन पर विश्वास नहीं करता और भीम सैन को हुक्म देता है की दो दिन के अन्दर जादुई परी की छड़ी से गायब होने वाले कपडे उसके समक्ष प्रस्तुत करे अन्यथा भीम सैन को सजाये मौत दी जाएगी।

 

भीम सैन अपने घर आ जाता है और यह सोच कर परेशान होता है की जब जादुई परी की कोई छड़ी है ही नहीं तो गायब करने वाले कपडे कैसे बनाये।

 

भीम सैन पूरी रात सोचता रहता है की क्या करे अंततः भीम सैन के दिमाग में एक योजना आती है।

 

दुसरे दिन भीम सैन एक खाली बड़ा थाल लेकर राजा के दरबार में उपस्थित होता है और उस थाल को मेज पर रख देता है और राजा को कहता है। महाराज आपकी आज्ञा अनुसार मैंने जादुई परी की छड़ी से गायब होने वाले कपडे बना दिए है।

 

लेकिन जादुई परी ने कहा है की राजा को इन कपड़ो को देने से पहले उनके किसी सबसे ज्यादा वफादार व्यक्ति को ये कपडे पहनने होंगे उसके बाद ही ये कपडे अपना जादू दिखा पाएंगे अन्यथा कपडे गायब हो जायेंगे।

 

राजा गायब होने वाले कपडे पहनने को बहुत ही उत्सुक होता है और जल्दी से अपने सेनापति को कहता है ‘’सेनापति तुम मेरे सबसे ज्यादा विश्वास पात्र व्यक्ति हो इसलिए तुम थाल से कपडे लो और पहनो ।

 

सेनापति कहता है की महाराज इस थाल में कोई कपडे नहीं है। भीम सैन हमे मुर्ख बना रहा है। अगर इस थाल में कपडे है तो भीम सैन पहन कर दिखाए ।

 

भीम सैन कहता है महाराज सेनापति जी आपके सबसे ज्यादा वफादार व्यक्ति है अगर मेने यह कपडे पहनने की कोशिश की तो कपडे गायब हो जायेंगे।

 

मेरा विश्वास कीजिये सेनापति जी जैसे ही आप कपडे पहनेगे वेसे वेसे जादुई परी की छड़ी से बने कपडे दिखाई देने लगेंगे ।

 

राजा जादुई कपडे पहनने के लिए उत्सुक था। उसने सेनापति से कहा की जल्दी से अपने कपडे उतारो और थाल में रखे कपडे पहनो ।

 

सेनापति अपने ही जाल में बहुत बुरी तरह फंस चूका था और वह यह जानता था की राजा मुर्ख है अगर उसने राजा का कहा नहीं माना तो वो उसे मार देगा ।

 

लेकिन अब सेनापति के पास भरी सभा में कपडे उतारने के अलावा कुछ शेष नहीं था सेनापति ने अपने कपडे उतारने शुरू किये। लेकिन शर्मिंदगी के कारण उसकी आँखों से आंसू आने लगे उसे पश्चाताप हो रहा था और सेनापति अपने पुरे कपडे उतारता उससे पहले ही उसने अपनी स्वय की तलवार से अपनी गर्दन काट ली और मर गया।

 

कुछ समय पश्चात राजा को भी पता चल गया की सेनापति उस से गलत कार्य करवाता था और राजा को भी अपनी मुर्खता पर शर्म आ रही थी। इसलिए राजा ने भीम सैन को उस राज्य का राजा बना दिया और खुद सन्यासी बन गया और जंगल में चला गया ।