kisan aur saanp ki kahani
किसान और सांप की कहानी

 

किसान और सांप की कहानी

 

बहुत समय पहले की बात है । एक बार एक किसान एक दिन शहर से अपने घर लौट रहा था । बहुत ज्यादा सर्दी हो रही थी । रास्ते में उसने देखा कि ठंड के कारण एक साँप लगभग जमा हुआ है और उसके शरीर पर कुछ छड़ी की चौटो के निशान भी है ।

 

किसान को सांप पर दया आ गयी । किसान ने सांप को अपने पास एक टोकरी में डाल लिया और कुछ कपड़ों से ढक दिया ताकि सांप को कुछ गर्मी मिले । 

 

किसान और सांप की कहानी
किसान और सांप की कहानी

 

किसान और सांप की कहानी

 

किसान सांप के प्राण बचाना चाहता था । इसलिए किसान ने तेजी से दौड़ना शुरू कर दिया ताकि जल्द से जल्द घर पहुँच जाए और सांप को आग से कुछ गर्मी दे सके और उसकी चौटो पर कुछ मलहम लगा सके ।

 

थोड़ी देर में किसान घर पहुँच गया । उसने जल्दी से सांप को टोकरी से निकाला और अपनी पत्नी से कहा की चूल्हा जला दो ताकि सांप को कुछ गर्मी दे सके और कुछ पुराने कपडे मंगवाए ताकि सांप को उन पर लेटा सके ।

 

किसान और सांप की कहानी
किसान और सांप की कहानी

 

किसान की पत्नी ने जल्दी से कुछ कपडे किसान को लाकर दिए और चूल्हा जला दिया । किसान ने सांप को चूल्हे के नजदीक पुराने कपड़ों पर लेटा दिया और कुछ जड़ी बूटियां रगड़कर सांप की चौटों पर लगा दी ।

 

थोड़ी देर में सांप हिलने लगा । यह देखकर किसान और किसान का परिवार बहुत खुश हुवा की उन्होंने सांप के प्राण बचा लिए है । 

 

 

किसान और सांप की कहानी
किसान और सांप की कहानी

किसान और सांप की कहानी

 

किसान के बच्चे सांप के पास बेठे बेठे उसे देख रहे थे । अब मलहम से सांप की चौटो में कुछ आराम आ चूका था और गर्मी से सांप में कुछ जान आ चुकी थी । अब सांप ने थोडा थोडा चलना शुरू किया ।

 

किसान भी पास ही बेठा बेठा यह सब कुछ देख रहा था । इतने में किसान ने देखा की सांप ने उसके बच्चे को काटने के लिए उसके पांव के ऊपर हमला किया । लेकिन उसके बच्चे के पांव से थोडा दूर रह गया ।

 

अब सांप ने दुबारा उस बच्चे को काटने के लिए तेयारी की लेकिन किसान ने जल्दी से एक लाठी ली और सांप के मुंह पर मार कर सांप को मार दिया ।

 

शिक्षा :- कभी भी किसी की प्रकृति को बदला नहीं जा सकता ।

 

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