ghamndi hathi aur chinti ki kahani
घमंडी हाथी और चींटी की कहानी

 

घमंडी हाथी और चींटी की कहानी

 

एक बार की बात है, एक जंगल में एक बहुत बड़ा हाथी रहता था। वह बहुत घमंडी था और हमेशा अपने से छोटे जानवरों को कम आंकता था और उनको बेइज्जत करता था।

 

उसी जंगल में चींटियों का एक परिवार रहता था। हर सुबह, वे भोजन की तलाश में जाते थे और आते जाते समय वे हमेशा हाथी को दूसरे जानवरों को परेशान करते हुए देखते थे।

 

घमंडी हाथी और चींटी की कहानी 

 

एक दिन, जब चींटी का परिवार अपना भोजन एकत्र करके वापस आ रहा था, तो हाथी ने अपनी सुड से उन पर पानी छिड़क दिया। उनमे से एक चींटी को गुस्सा आ गया और उसने कहा "आपको इस तरह दूसरों को तंग परेशान और चोट नहीं पहुँचानी चाहिए" ।

 

हाथी ने कहा "चुप रहो, छोटी चींटी !

 

हाथी ने गुस्से में कहा ”चुप रहो नहीं तो मैं तुम्हें मौत के घाट उतार दूंगा । बेचारी चींटी चुप रही और अपने रास्ते चली गई। लेकिन उसने घमंडी हाथी को सबक सिखाने का फैसला किया।

 

घमंडी हाथी और चींटी की कहानी 

 

अगले दिन, जब हाथी सो रहा था, नन्ही चींटी धीरे-धीरे हाथी के कान में घुस गई और उसे काटने लगी। हाथी जाग गया और चींटी को अपनी सूंड से बाहर निकालने की हरसंभव कोशिश की लेकिन चींटी को कान से बहार नहीं निकाल पाया। इतना बड़ा जानवर लेकिन वह चींटी को बाहर निकालने के लिए कुछ नहीं कर सकता था।

 

हाथी जोर जोर से रोने लगा और चींटी से क्षमा मांगने लगा ।

 

चींटी ने हाथी से कहा "मुझे आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि जब आप दुसरे छोटे जानवरों को चोट पहुँचाते हैं तो उन्हें कैसा महसूस होता होगा" ।

 

घमंडी हाथी और चींटी की कहानी 

 

हाथी ने कहा की मुझे माफ़ कर दो हाथी रोया और चींटी से कान से बाहर आने की विनती की। चींटी ने हाथी पर दया की और उसके कान से बाहर आ गई। उस दिन के बाद से, हाथी ने कभी किसी जानवर को परेशान नहीं किया।

 

शिक्षा :- कभी किसी को कम मत समझो और चोट मत पहुँचाओ ।

 

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