sher aur bakri ki kahani
शेर और बकरी की कहानी

 

शेर और बकरी की कहानी

 

बहुत समय पहले की बात है। एक घना जंगल था। बहुत तेज गर्मी हो रही थी। तालाबों का पानी सूख रहा था। जंगल के जानवर गर्मी से परेशान थे। जंगल में कहीं भी पानी नहीं था।

 

एक शेर और एक बकरी पानी की तलाश में थे। दोनों अपनी प्यास बुझाने के लिए एक तालाब पर पहुँचे।

 

शेर ने बकरी से कहा, "मैं पहले तालाब पर आया हूँ इसलिए मैं पहले पानी पीऊंगा।" बकरी ने भी यही बात कही और वे दोनों झगड़ने लगे।

 

तालाब के ऊपर गिद्धों का झुंड उड़ रहा था। वे लड़ाई खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, ताकि वे हारे हुए जानवर का मांस खा सके।

 

शेर और बकरी कुछ समय तक लड़ते रहे। उनमें से किसी ने हार नहीं मानी। थोड़ी देर में दोनों हो बुरी तरह से थक चुके थे। शेर और बकरी ने एक चट्टान पर दो गिद्धों को देखा। गिद्ध आपस में बात कर रहे थे, की इन दोनों में से कोई भी मरे, आज हमारी तो दावत हो जाएगी।

 

शेर और बकरी की कहानी

 

बकरी ने मन ही मन में सोचा की, शेर ताकतवर है और अंततः वह जीत जायेगा और उसे इस लड़ाई से कोई लाभ नहीं होगा और गिद्ध मुफ्त में ही मेरा मांस खाकर दावत करेंगे।

 

बकरी ने शेर से कहा की हमे लड़ना नहीं चाहिए क्योंकि हमारी इस लड़ाई से हमे कोई लाभ नहीं है। आप और में दोनों ही जख्मी हो चुके है और हमारी इस लड़ाई से गिद्ध लाभ उठाएंगे।

 

शेर और बकरी की कहानी

 

यह सुनकर शेर ने बकरी की बात मान ली और दोनों ने दोस्ती कर ली और बकरी ने शेर से कहा की, आप जंगल के राजा है इसलिए पहले आप पानी पी लीजिये, उसके बाद में पी लुंगी।

 

शेर और बकरी ने पानी पिया और ख़ुशी ख़ुशी चले गये।

 

यह देखकर गिद्ध निराश हुए और वंहा से उड़ गये ।

 

शिक्षा :- आप जरूरत के समय में दुश्मनों से बात करके समस्या से बाहर निकल सकते हैं ।

 

 

गीदड़ शेर और बकरी की कहानी

 

gidadh sher aur bakri ki kahani
गीदड़ शेर और बकरी की कहानी

 

बहुत समय पहले की बात है। एक बूढ़ी बकरी थी। बूढी बकरी जंगल में अन्य बकरियों के साथ चर रही थी। अब अंधेरा होने वाला था इसलिए बूढी बकरी अन्य बकरियों के साथ घर लौट रही थी।

 

बूढ़ी बकरी कमजोर थी इसलिए वह जल्द ही थक गई और पीछे रह गई। अब काफी अंधेरा हो चूका था और वह वापस अपना रास्ता नहीं खोज पाई।

 

बूढी बकरी जंगल में भटक गयी और उसे एक गुफा दिखाई दी। उसने गुफा में प्रवेश करने का फैसला किया। जब वह अंदर गई तो उसे गुफा के अन्दर एक शेर बैठा मिला।

 

शेर और बकरी की कहानी

 

बूढी बकरी बहुत ज्यादा भयभीत हो गयी और एक पल के लिए वही खड़ी रही और उसने सोचा कि वह क्या कर सकती है।

 

बूढी बकरी ने सोचा की, अगर वह दौड़ने की कोशिश करेगी तो शेर जल्द ही उसे पकड़ लेगा और मार कर खा जायेगा, लेकिन अगर वह शेर से नहीं डरने का नाटक करेगी तो शायद अपनी जान बचा सकती है।

 

बूढी बकरी साहसपूर्वक शेर के पास गई जैसे वह उससे बिल्कुल भी नहीं डरती है। शेर ने उसे देखा और सोचा कि बकरियों ने कभी भी उसके पास आने की हिम्मत नहीं की ।

 

शेर और बकरी की कहानी

 

शेर ने सोचा कि यह एक बकरी नहीं हो सकती है। यह जरुर कोई बुरी आत्मा है ।

 

शेर ने बूढी बकरी से पूछा की, तुम कोन हो। इस पर बूढी बकरी ने कहा।

 

"मैं बकरियों की रानी हूँ" "मैं सौ बाघों, पच्चीस हाथियों और दस शेरों को खाने के लिए आया थी। मैंने सौ बाघों और पच्चीस हाथियों को खा लिया है और अब मुझे दस शेरों की तलाश है"

 

शेर यह सुनकर बहुत हैरान हुआ और बूढी बकरी से डर गया और अपने प्राण बचाने के लिए जल्दी से गुफा से बाहर भागा ।

 

जब शेर भाग रहा था तो रास्ते में उसे एक गीदड़ मिला। जिसने जानवरों के राजा शेर को घबराहट में देखा, गीदड़ ने शेर से पूछा कि क्या बात है महाराज, आप इतने डरे हुए और इतने तेज क्यों दौड़ रहे है। शेर ने गीदड़ को सारी बात बताई।

 

गीदड़ बहुत चालाक था। गीदड़ ने जल्द ही अनुमान लगा लिया कि शेर के डर का कारण केवल एक बूढी बकरी है। और गीदड़ ने शेर से कहा कि आप मेरे साथ अपनी गुफा में वापस चलिए।

 

शेर गीदड़ के साथ वापस गुफा के पास आया। जब बकरी ने शेर को लौटते देखा तो वह सब कुछ समझ गई लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।

 

उसने गीदड़ से कहा की, क्या तुम मेरे आदेशों की पालना सही तरीके से नहीं कर सकते हो मैंने तुम्हे दस शेरो को लाने के लिए भेजा था और तुम केवल एक शेर लेकर आये हो।

 

जैसे ही शेर ने यह सुना उसने सोचा कि गीदड़ ने उसे धोखा दिया है। शेर गीदड़ पर टूट पड़ा और अपने तीखे तीखे दांतों से उसके टुकड़े टुकड़े कर दिये। और शेर गुफा से बहुत दूर भाग गया।

 

मोका पाकर बूढी बकरी भी गुफा से बाहर आई और अपने घर की और चली गयी।

 

शिक्षा :- साहस से हार भी जीत में बदल जाती है