कछुआ और खरगोश की कहानियां
एक दिन एक खरगोश शेखी बघार रहा था कि वह कितनी तेजी से दौड़ सकता है। वह कछुए के इतना धीमा चलने के लिए हंस रहा था। कछुए ने खरगोश को दौड़ के लिए चुनौती दी। खरगोश को कछुए की चुनौती पर आश्चर्य हुवा लेकिन उसने उसे स्वीकार की और खरगोश ने सोचा कि यह दौड़ तो उसके लिए एक मजाक है। वह अभी चुटकियों में ये दौड़ जीत लेगा ।
इस दौड़ के लिए लोमड़ी को अंपायर बनाया गया । जैसे ही दौड़ शुरू हुई, खरगोश ने कछुए के आगे दौड़ लगाई, जैसे सभी ने सोचा था। खरगोश आधे रास्ते तक पहुंच गया और कछुआ कहीं भी नजर नहीं आ रहा था सभी ने सोचा की कछुआ ये दौड़ हारेगा क्योंकि खरगोश तो अभी ही आधी दौड़ पूरी कर चूका है ।
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खरगोश ने शुरुआत बहुत तेजी से की थी इसलिए खरगोश थक गया था खरगोश ने सोचा की कछुए को तो यंहा तक पहुँचने में काफी समय लग जायेगा इसलिए खरगोश शेखी बघारने के लिए रास्ते में ही सो गया लेकिन ज्यादा थकान के कारण खरगोश को गहरी नींद आ गयी ।
कछुआ धीरे धीरे चलता हुवा फिनिश लाइन तक पहुँच गया । जंगल के सभी जानवर कछुवे को जीत की बधाई दे रहे थे । इतने में खरगोश की नींद खुली, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था खरगोश को अपनी तेज रफ़्तार होने के बावजूद हार मिल चुकी थी ।
शिक्षा :- कभी भी अपने कमजोर से कमजोर प्रतिद्वंद्वी को भी कम मत समझो और लापरवाहियों से हमेशा बचों ।
कछुआ और खरगोश की कहानी पार्ट -2
दोस्तों आपने ऊपर की कहानी में पढ़ा की खरगोश ओवर कांफिडेंस, लापरवाही और आलस के कारण रेस हार गया था ।
कछुआ और खरगोश की कहानियां |
खरगोश रेस हारने से निराश था। खरगोश को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था की वह एक धीरे धीरे चलने वाले कछुआ से रेस हार चूका था और उसे यह भी महसूस हो चूका था की उसके ओवर कांफिडेंस, लापरवाही और आलस के कारण वह रेस हार गया था ।
इसलिए खरगोश ने कछुआ को एक और मुकाबले की चुनौती दी। और कछुआ से कहा की, क्या हमारे बीच एक और दौड़ हो सकती है ?
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कछुआ सहमत हो गया और उसने एक और रेस के लिए हां भर दी। लेकिन कछुआ ने खरगोश को कहा की, में दुबारा रेस एक ही शर्त पर करूँगा की रेस का मार्ग और जीत बिंदु दूसरा होगा ।
कछुआ और खरगोश की कहानियां
खरगोश ने बिना कुछ सोचे हाँ भर दी और कछुआ से कहा की, रेस का मार्ग और जीत का किनारा कोई भी हो, उससे कोई फर्क नहीं पडता । मेने जो लापरवाही और आलस पिछली रेस में की थी, वो इस बार नहीं करूँगा और तुम्हे इस बार मुझ से हर हाल में हारना होगा ।
कछुआ ने खरगोश से कहा की, ठीक है ‘’तो सुनो’’ इस बार हमारी रेस नदी के उस पार पीपल के पेड़ के नीचे पहुँचने तक की होगी, खरगोश ने बिना कुछ सोचे जंगल के सभी जानवरों के सामने हाँ भर दी ।
अगले दिन कछुआ और खरगोश की रेस शुरू हुई खरगोश ने आज यह तय किया था की वह जब तक आराम और आलस नहीं करेगा जब तक की वह रेस जीत नहीं जाए और खरगोश ने बिना रुके दौड़ना शुरू कर दिया ।
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खरगोश को नदी के पार पीपल तक पहुँचने के लिए बहुत लम्बी दुरी तय करके पुल के ऊपर से आकर जीत हासिल करनी थी । जबकि कछुआ को केवल नदी में तेर कर नदी पार करनी थी ।
कछुआ और खरगोश की कहानियां
कछुआ ने सीधी नदी में छलांग लगाई और कुछ ही देर में नदी पार करके पीपल के पेड़ के नीचे पहुँच गया । जबकि खरगोश बिना कुछ सोचे समझे दौड़ रहा था और कछुआ के पीपल के पेड़ के नीचे पहुँचने के आधे घंटे बाद वंहा पहुंचा और वंहा पर कछुए को पहले से ही बेठे देख आश्चर्य चकित हुआ खरगोश एक बार फिर रेस हार चूका था ।
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खरगोश को अब समझ आ चूका था की कछुआ नदी में तेर सकता है इसलिए वह नदी के रास्ते से कुछ ही मिनटों में पीपल के पेड़ के नीचे पहुँच गया और रेस जीत गया ।
कछुआ और खरगोश की कहानियां
खरगोश ने एक बार फिर सबक सीख लिया था की, किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पूर्व उसके बारे में और अपनी और प्रतिद्वंद्वी की मुख्य योग्यता की पहचान करनी भी आवश्यक है ।
दोस्तों कछुआ और खरगोश की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है आपके लिए जल्द ही कछुआ और खरगोश की कहानी पार्ट –3 लिखा जायेगा और ये पार्ट आपके लिए और भी मजेदार और ज्ञानवर्धक होगा ।
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