शेर और बंदर की कहानी |
शेर और बंदर की कहानी
बहुत समय पहले की बात है एक शेर और बंदर एक घने जंगल में रहते थे। शेर जंगल में घूमता था, जबकि बंदर पेड़ो पर रहता था।
शेर और बंदर की कहानी
एक दिन शेर जंगल में घूम रहा था और उसे बहुत भूख लगी थी, तभी शेर ने जंगल में जमीन पर केले के पत्ते के ऊपर एक मांस का टुकड़ा देखा। शेर ने सोचा "ये मांस का टुकड़ा तो मेरे लिए एक मुफ़्त और आसान भोजन है,"
शेर केले के पत्ते के पास चला गया, लेकिन जेसे ही शेर ने मांस को अपने दांतों से उठाना चाहा इतने में ही जमीन धसक गयी और शेर एक गहरे खड्डे में गिर गया ।
शेर नही जानता था की एक मुफ्त का मांस का टुकड़ा उसको इतना महंगा पड़ेगा की वो किसी शिकारी के जाल में फंस जायेगा और एक बहुत गहरे गड्डे में गिर जाएगा ।
असल में वंहा पर किसी शिकारी ने एक बहुत गहरा गड्डा खोद कर उसको केले के पेड़ के छिलकों से ढककर मिटटी डाल दी और उसके ऊपर एक मांस का टुकड़ा रख दिया था ताकि जेसे ही शेर मांस खाने के लिए आये उस गड्डे में गिर जाए और शिकारी उसका शिकार कर ले ।
शेर ने गड्डे में से निकलने के लिए बहुत कोशिश की और मदद के लिए बहुत चिल्लाया लेकिन जंगल के जानवर शेर को बचाना नहीं चाहते थे क्योंकि शेर बहुत दुष्ट और धोखेबाज था जंगल के जानवरों को डर था की वो जेसे ही शेर को बचायेंगे शेर उन्हें ही खा जायेगा ।
शेर और बंदर की कहानी
शेर ने खड्डे से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन शेर निकल नहीं पा रहा था क्योंकि गड्डा बहुत गहरा था अंततः शेर थक चूका था ।
उसी गड्डे के पास एक पेड़ पर एक बंदर रहता था वो बंदर शेर की हालत देख रहा था और बंदर को शेर पर तरस आ रहा था लेकिन बंदर ने भी यही सुना था की शेर बहुत दुष्ट और बेईमान है इसलिए बंदर उसे बचाना नहीं चाहता था ।
अब रात होने वाली थी शेर अब बुरी तरह से थक चूका था अब शेर ज्यादा जोर से दहाड़ भी नहीं पा रहा था । बंदर को शेर की हालत देखकर तरस आ गया और बंदर गड्डे के करीब आया । शेर ने बंदर को देखकर हाथ जोड़कर निवेदन किया की बंदर महाराज कृपया मेरी जान बचाओ ।
तब बंदर ने शेर से कहा की शेर महाराज मैंने सुना है की आप बड़े दुष्ट और बेईमान है अगर में आपको बचाता हु और उसके बाद कहीं आप मुझे है ना खा जाओ ।
शेर ने बंदर से कहा । बंदर मित्र आप ने मेरे बारे में जो भी गलत सुना है वो सब मेरे दुश्मनों ने मेरे बारे में झूठ फेलाया है । में बुरा जानवर नहीं हूँ और बंदर महाराज आप तो मेरे प्राण बचा रहे है में आपको कैसे नुकसान पहुंचा सकता हूँ ।
शेर और बंदर की कहानी
बंदर शेर की बातों में आ गया और बंदर ने अपनी पूंछ खड्डे में लटका दी । शेर ने बंदर की पूंछ को कस कर पकड लिया और ऊपर खड्डे से बाहर आ गया । लेकिन शेर ने खड्डे से बाहर आने पर भी बंदर की पूंछ नहीं छोड़ी तब बंदर घबरा गया । बंदर जान चूका था की शेर दिन भर का भूखा है और अब शेर उसे खा कर पेट भरना चाहता है ।
बंदर को अब अफ़सोस हो रहा था की वो कैसे शेर की बातों में आ गया । लेकिन अब समय बीत चूका था और बंदर को अपनी मौत दिखाई दे रही थी ।
बंदर शेर से निवेदन करता है की शेर महाराज मैंने तो आपके प्राण बचाए है और आप मुझे ही मारकर खाना चाहते है लेकिन शेर को बंदर पर तरस नहीं आता शेर सुबह से भूखा था और केवल अपनी भूख के बारे में सोच रहा था ।
इतने में वंहा से एक लोमड़ी गुजरी । लोमड़ी ने शेर और बंदर की आवाज सुनी तो लोमड़ी वंहा पर आ गयी और लोमड़ी ने शेर और बंदर से पूछा की क्या हुवा तो बंदर ने सारी बात लोमड़ी को बताई । लोमड़ी अब सारी बात समझ चुकी थी और उसने शेर से निवेदन किया की बंदर ने तुम्हारी जान बचाई है तुम्हे इसके प्राण नहीं लेने चाहिए लेकिन शेर ने लोमड़ी की भी एक बात नहीं सुनी ।
अब लोमड़ी ने सोचा की कैसे भी करके इस बंदर के प्राण तो बचाने ही होंगे तब लोमड़ी ने एक तरकीब सोची और बंदर से कहा ।
बंदर अब तुमने दुनिया में बहुत अच्छाईया कर ली है अब तुम्हे हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिये और ईश्वर से कहो की है ईश्वर मेरी अच्छाइयों को स्वीकार करों ।
तब बन्दर लोमड़ी की बात मान लेता है और हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करता है ।
फिर लोमड़ी शेर से कहती है की तुम भी एक बार इस बंदर को खाने से पहले ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थना करो की है ईश्वर मेरी बुराइयों को माफ़ करो और इस बंदर के मांस को मेरे बहुत ताकतवर बना दो ।
शेर भी लोमड़ी के बातों में आकर बंदर की पूंछ छोडकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगता है, इतने में है ही बंदर जल्दी से पेड़ पर चढ़ जाता है और लोमड़ी जंगल में भाग जाती है ।
लोमड़ी की बुद्धिमानी से बंदर के प्राण बच जाते है बंदर लोमड़ी का धन्यवाद करता है ।
शिक्षा :- बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा अपनी बुद्धिमानी से हर समस्या का हल निकाल लेता है । इसलिए खूब सारी शिक्षा प्राप्त करों और बुद्धिमान बनो ।
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