chalaak khargosh aur murkh sher ki kahani
चालाक खरगोश और मूर्ख शेर की कहानी

 

चालाक खरगोश और मूर्ख शेर की कहानी -1

 

एक बार जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। शेर बहुत लालची था और जंगल में जानवरों की अंधाधुंध हत्या करने लगा। यह देखकर जंगल के सभी जानवर इकट्टा हुए और शेर के पास गये, सभी जानवरों ने यह निश्चय किया की प्रत्येक दिन शेर को खाने के लिए स्वेच्छा से प्रत्येक प्रजाति का एक जानवर शेर के पास आयेगा ।

 

अब हर दिन जानवरों में से एक की बारी थी और अंत में खरगोशों की बारी आई। खरगोशों ने उनके बीच में से एक बूढ़े खरगोश को चुना। बुढा खरगोश बुद्धिमान था।

 

मूर्ख शेर की कहानी

 

बुढा खरगोश शेर के पास जाने के लिए रवाना हो गया, लेकिन रास्ते में जानबूझकर एक पेड़ के नीचे सो गया। शेर अपने भोजन का इंतजार कर रहा था।

 

कई देर तक शेर किसी भी जानवर को नहीं देखकर गुस्सा हो रहा था और शेर ने गुस्से में तय किया की कल जंगल के सभी जानवरों को मार दूंगा ।

 

मूर्ख शेर की कहानी

 

सूर्यास्त का समय हो चूका था। खरगोश टहलते टहलते शेर के पास पहुंचा। शेर उस पर क्रोधित हुआ। लेकिन बुद्धिमान खरगोश शांत रहा और उसने शेर को धीरे से कहा कि यह उसकी गलती नहीं है।

 

उसने शेर को बताया कि खरगोशों का एक समूह आपके पास आ रहा था, लेकिन रास्ते में एक दुसरे शेर ने उन सभी पर हमला कर दिया और सभी खरगोशों को खा लिया । में किसी तरह से मेरे प्राण बचा कर आपके पास पहुँचा हूँ ।

 

मूर्ख शेर की कहानी

 

बूढ़े खरगोश ने मुर्ख शेर से कहा कि वो दूसरा शेर आपके प्रभुत्व को चुनौती दे रहा था और कह रहा था की अब से इस जंगल का राजा वो है। मुर्ख शेर को बहुत गुस्सा आया और मुर्ख शेर ने खरगोश से कहा की उसे दूसरे शेर के स्थान पर ले जाए।

 

बुद्धिमान खरगोश शेर को पानी से भरे एक गहरे कुएं की ओर ले गया। फिर उसने मुर्ख शेर को कुएं के पानी में शेर का प्रतिबिंब दिखाया। शेर गुस्से में था ।

 

मुर्ख शेर ने अपनी परछाई देखकर उसे दूसरा शेर समझा और उस पर हमला करने के लिए पानी में छलांग लगा दी, और डूबने से कुएं में शेर की जान चली गई। इस प्रकार बुद्धिमान खरगोश ने जंगल और उसके निवासियों को मुर्ख शेर से बचाया।

 

 

चालाक लोमड़ी और मूर्ख शेर की कहानी -2

 

chalaak lomdi aur murkh sher ki kahani
चालाक लोमड़ी और मूर्ख शेर की कहानी

एक बार की बात है एक आदमी शेर के पिंजरे के पास से गुजर रहा था। अचानक उसे शेर ने अपने पास बुलाया। वह आदमी शेर के पिंजरे के पास गया और पूछा, क्या कह रहे हो

 

शेर ने कहा 'मैं एक अच्छा शेर हूं और मैं पिछले 6 साल से लोगों का मनोरंजन कर रहा हूं अब मैं बूढ़ा हो रहा हूं और मेरा मालिक मुझे उतना खाना नहीं खिलाता है ।

 

इसलिए आपका मुझ पर यह बहुत बड़ा उपकार होगा यदि आप मुझे मुक्त कर दें मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं वापस जंगल में जाऊंगा और किसी भी व्यक्ति को कभी नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा और विनम्रतापूर्वक रहूंगा।

 

मूर्ख शेर की कहानी

 

आदमी बहुत भोला और ईमानदार था इसलिए उसने सोचा की उसे शेर की मदद करनी चाहिए और उसने शेर का पिंजरा खोल दिया । शेर पिंजरे से बाहर आ गया और उसने उस व्यक्ति से कहा मुझे भी अपनी स्वतंत्रता के बदले मैं तुम्हें कुछ उपहार देना चाहिए और में तुम्हे तुम्हारे उपहार में मृत्यु दे रहा हूँ क्योंकि मैं बहुत भूखा हूं और तुम मेरे लिए एक आसान शिकार हो ।

 

उस आदमी ने शेर से कहा की तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाओगे और मैंने तो तुम्हारी मदद की है और तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ।

 

शेर ने कहा, हां मैं सब कुछ कर सकता हूं।

 

उस व्यक्ति ने शेर से अपनी प्राण के लिए भीख मांगी और शेर को कहा की में तुम्हारे लिए भोजन की व्यवस्था कर दूंगा । इतने में अचानक वंहा से एक लोमड़ी गुज़र रही थी लोमड़ी ने शेर और उस व्यक्ति से पूछा की क्या बात है दोनों किस बात पर बहस कर रहे हो ?

 

मूर्ख शेर की कहानी

 

फिर शेर ने लोमड़ी को अपनी बात बताई और उस आदमी ने अपनी बात बताई । लेकिन लोमड़ी को कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या हुआ था ।

 

तब शेर ने क्रोधित होकर लोमड़ी से कहा 'ठीक है ! मैं आपको शुरू से सभी चीजें करके दिखा रहा हूं।

 

ऐसा कहते हुए शेर वापस अपने पिंजरे में जाता है और उस व्यक्ति को बाहर से दरवाजा बंद करने का आदेश देता है और आदेश मानकर वो व्यक्ति पिंजरे का दरवाजा बंद कर देता है ।

 

शेर ने लोमड़ी से कहा की मैं इस स्थिति में यहाँ था और मेने इस व्यक्ति को यहाँ से बाहर निकलने के लिए कहा था और इस व्यक्ति ने मेरे कहे अनुसार मेरी बात मानकर पिंजरे का गेट खोल दिया ।

 

शेर ने उस व्यक्ति से कहा, ठीक वैसा ही करो जेसा पहले किया था और दरवाजा खोलो। '

 

लोमड़ी ने उस व्यक्ति से कहा, नहीं इस मुर्ख शेर को पिंजरे के अंदर ही रहने दो, ये मुर्ख शेर आजादी के लायक नहीं है।