50+ Short Stories in Hindi – बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ

 

Short Stories in Hindi

Best Short Stories in Hindi with Moral (2024)


दोस्तों हमे पता है आपको अच्छी अच्छी ज्ञानवर्धक प्रेरणादायक छोटी कहानियाँ पढने और सुनने में मजा आता है और जब आप बहुत छोटे थे तब आपको आपके मम्मी पापा दादा दादी नाना नानी आदि ने खूब सारी राजा रानी की कहानी, भालू और शेर के कहानी, परियों के कहानी, पंचतंत्र के कहानी, अकबर बीरबल के कहानी आदि अच्छी अच्छी ज्ञानवर्धक प्रेरणादायक छोटी कहानियाँ सुनाई होंगी


दोस्तों आज भी आपको इस पेज पर वेसी ही खूब सारी अच्छी अच्छी ज्ञानवर्धक प्रेरणादायक छोटी कहानियाँ पढने को मिलेगी और आपको यह कहानियां पढ़कर खूब मजा आने वाला है 

 

 

1.हाथी और शेर की कहानी-

 




एक बार की बात है एक शेर बेठा बेठा सोच रहा था । उसके पास तेज

 और मजबूत पंजे और दांत है और वह बहुत ताकत वाला जानवर है। फिर

 भी जब भी वह एक मोर के बारे में सुनता था वह बहुत ईर्ष्या करता था।

 क्योंकि जंगल के सारे जानवर मोर की बहुत तारीफ करते थे की वह जब

 अपने पंख फेलाता है तो बहुत सुन्दर लगता है और जब नाचता है तो अति

 सुन्दर लगता है यह सारी बातें सुनकर शेर को बहुत ईर्ष्या होती थी ।


इस लिए शेर ने सोचा की क्या इस तरह का जीवन जीने लायक है ? मैं जंगल का राजा हूँ इतना ताकतवर और सबसे मजबूत और सबसे बहादुर जानवर हूँ फिर भी जंगल के सभी जानवर मोर की तारीफ़ करते है मेरी कोई भी प्रशंसा नहीं करता और यह सोच कर शेर दुखी हो रहा था ।

 

हाथी और शेर की कहानी

तभी एक हाथी वंहा से गुजरा हाथी अपने कानों को फड़फड़ाते हुए बहुत ही दुखी हो रहा था यह देख कर शेर ने हाथी से पूछा तेरा तो शरीर इतना बड़ा है और तु बहुत ताकतवर भी है फिर भी तु क्यों इतना दुखी हो रहा है तुझे क्या परेशानी है ।

 

शेर ने सोचा क्यों ना में अपना दुःख इस हाथी के साथ बाँट लू तो शेर ने हाथी से कहा क्या जंगल में कोई ऐसा जानवर है जिसे तुझे ईर्ष्या हो तो तुझे नुक्सान पहुंचा सकता है ।

 


हाथी और शेर की कहानी

 

यह सुनकर हाथी ने कहा की जंगल का सबसे छोटा जानवर मुझ जेसे विशालकाय और ताकतवर जानवर को परेशान कर सकता है ।

 

इस पर शेर ने पूछा की ऐसा कोनसा छोटा जानवर है जो तुझ जेसे विशालकाय जानवर को परेशान कर सकता है ।

 

तब हाथी ने कहा महाराज वो जानवर इस जंगल का सबसे छोटा जानवर चींटी है जब वो मेरे कान में घुस जाती है तो में दर्द से पागल हो जाता हूँ और कई बार मर जाता हूँ ।

 

तब शेर को समझ आई की वो मोर तो मुझे परेशान भी नहीं करता फिर भी मुझे उससे ईर्ष्या है ईश्वर ने सभी प्राणियों को अलग अलग खूबिया और कमियां दी है और सारी खूबियाँ एक प्राणी में नहीं हो सकती है ।

 


हाथी और शेर की कहानी

 

शेर समझ गया कि सबसे मजबूत जीवों में भी कुछ कमियां और कुछ खूबियाँ होती हैं। शेर को अब आत्मविश्वास प्राप्त हो चूका था । और शेर ने निर्णय लिया की अब कभी भी किसी से ईर्ष्या नहीं करेगा ।

 

हम सभी में कुछ कमजोरिया होती हैं। हमें उनके बारे में शिकायत करने के बजाय जीवन में अपनी अच्छी और सुखद चीजों पर ध्यान देना चाहिए।

 


शिक्षा :- कभी भी किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए ईश्वर ने सभी को अलग अलग खूबियों दी है ।

 

 

 

2.हाथी और शेर के बच्चों की कहानी

 


एक बार की बात है एक घने जंगल में एक शेर और एक शेरनी रहते थे । शेरनी  ने दो बच्चों को जन्म दिया। शेर ने शेरनी को घर पर रह कर अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए कहा। और खुद शिकार करने के लिए चला गया ।


दोस्तों एक दिन शेर किसी भी जानवर का शिकार नहीं कर सका क्योंकि उसके पांव में चोट लग गयी, लेकिन घर के रास्ते में उसे एक छोटा हाथी मिला। वह इसे शेरनी के लिए उपहार के रूप में घर ले गया। लेकिन शेरनी ने उसे खाने की बजाय उसकी मासूमियत को देखकर हाथी के बच्चे को उसी प्यार से अपने शावकों के साथ पाला।

 

अब शेरनी के तीन बच्चे थे दो शेर और एक हाथी, तीनों बच्चे एक साथ खेलते और खाते । एक दिन तीनों बच्चों ने एक गेंडे को देखा। शेर के शावक गेंडे से लड़ कर उसका शिकार करना चाहते थे। लेकिन हाथी का बच्चा डर रहा था क्योंकि वह शाकाहारी था और गेंडे के बच्चे का शिकार नहीं करना चाहता था इसलिए हाथी के बच्चे ने उन्हें भागने के लिए कहा। इसलिए वे भागकर मां शेरनी के पास गए।


शेर के बच्चों ने अपने पिता शेर को सारी बात बताई तो शेर ने मजाक में हाथी के बच्चे को कायर कहा इस पर हाथी का बच्चा नाराज हो गया और गुस्से में उसने शेर को कहा की उसने उसे कायर क्यों कहा ।

 

शेर ने जवाब दिया की शेरो को गेंडे को खाने में क्या बुराई है ? लेकिन आपको ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि आप शेर के बच्चे नहीं हैं। आप एक हाथी के बच्चे हैं। आपकी नस्ल कभी भी मांस नहीं खाती है और आप एक शाकाहारी जानवर है । इसलिए तुम्हे हमें छोड़ कर चले जाना चाहिए और अपने जेसे शाकाहारी जानवरों के साथ रहना चाहिए । हाथी का बच्चा अब वहाँ नहीं रहना चाहता था और जंगल की ओर चला गया और एक हाथियों के झुण्ड में शामिल हो गया ।

 

शिक्षा :- प्रत्येक प्राणी को अपने जेसो के साथ रहना चाहिए तो उसका जीवन आसान हो जाता है ।

 

 



3.दयालु हाथी और दुष्ट शेर की कहानी

 


एक बार एक घने जंगल में एक शेर रहता था जो बहुत चालाक था। एक दिन उसने हाथियों के एक झुंड को देखा जो जंगल के दूसरे तरफ पर जा रहे थे और हाथियों के झुण्ड को देख कर शेर के मुंह में पानी आ गया और उसने सोचा की क्यों ना इनमे से एक हाथी को मारकर खाया जाए और उसने एक योजना बनाई ।

 

अगले दिन उसने कुछ योजना बनाई और हाथियों के झुंड के पास आया। शेर ने देखा कि झुंड में एक हाथी काफी धीमा चल रहा था वह दूसरों की तरह तेज नहीं चल सकता था। शेर ने इस अवसर का फायदा उठाने के लिए उस हाथी के पास गया। लेकिन वह हाथी इतना दयालु और मददगार था।

 

शेर ने कहा, “प्रिय हाथीमेरा कोई दोस्त नहीं है। क्या आप मेरे दोस्त बन सकते हो ? हाथी ने कहा हां में आपका दोस्त बन सकता हूँ और दोनों में दोस्ती हो गयी ।

 

अगले दिन शेर ने पास के गाँव के गन्ने खाने की इच्छा व्यक्त की। हाथी उसे गाँव ले जाने को तैयार हो गया। लेकिन उस गाँव तक पहुँचने के लिए उन्हें एक बड़ी नदी को पार करना होगा। नदी देखने के बादशेर ने कहा, "कल से प्रिय मित्रमेरे पैर में दर्द हैइसलिए मैं इस नदी को तैर ​​नहीं सकता।"

 

मासूम हाथी ने कहा, "मेरे प्यारे दोस्त चिंता मत करोतुम मुझ पर बैठ सकते होऔर मैं तुम्हें दूसरे छोर पर ले जाऊंगा।" शेर ने जैसा कहा वैसा ही किया। वे दोनों दूसरे छोर की ओर तैरने लगेलेकिन जब वे पहुंचने वाले थे कि शेर ने अपने तीखे पंजे से हाथी की पीठ को खरोंचना शुरू कर दिया और आखिरकार उसने हाथी को मार दिया और नदी के किनारे पर कूद गया और गन्ने के खेत में घुस गया और जितना संभव हो खा लिया और उसने वहाँ पर चर रही कुछ गायों को भी मार डाला।

 

कुछ समय बाद वह अपने जंगल में वापस जाना चाहता था। फिर शेर को याद आया कि इतनी बड़ी नदी को पार करना बहुत मुश्किल है। तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआऔर उसने एक निर्दोष और दयालु हाथी को मारने के लिए अपने आप को दोषी महसूस किया।

 

उसी समय कुछ गाँव वालों ने देखा कि एक शेर ने उनकी फसल को खराब कर दिया है और उनकी गायों को भी खा गया है उसके बाद गाँव वालों ने शेर को तब तक पीटा जब तक वह मर नहीं गया।

 

शिक्षा :- कभी भी दुष्ट व्यक्ति पर भरोसा मत करो और भगवान हमेशा दुष्ट व्यक्ति को दंडित करता है ।

 


4.कौवा और सांप की कहानी

 


एक बार एक बहुत बड़े आम के पेड़ पर कौवे का एक जोड़ा रहता था। उसी आम के पेड़ की जड़ के पास एक सांप का बिल था । वो सांप बड़ा दुष्ट था । हर बार जब भी कौवे का जोड़ा अंडे देता तो वो सांप पेड़ पर चढ़कर उनके अंडे खा जाता था ।

 कौवे का जोड़ा उस सांप से बहुत परेशान था । उन्होंने कई बार सांप से विनती की, की आप हमारे अंडे मत खाओ, लेकिन वो दुष्ट सांप कौवे के जोड़े को हर बार यही कहता की, इस बार तुम्हारे अंडे में नहीं खाऊंगा । लेकिन हर बार उनके अंडे खा जाता था ।

 

कौवा और सांप की कहानी

 

एक सुबह जब कौवे का जोड़ा भोजन की तलाश में गया तो सांप पेड़ पर गया और फिर से कौवे के जोड़े के अंडे खा गया। जब कौवे वापस आएतो उन्हें उनके अंडे फिर नहीं मिले ।

 

कौवे का जोड़ा अब सांप से बहुत परेशान हो चूका था लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था की वो सांप का क्या करे ।

 

कौवे के जोड़े ने बहुत सोचा लेकिन उन्हें सांप से अपने अन्डो को बचाने की कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी और ना ही वे सांप को मार सकते थे ।

कौवे के जोड़े को सोचते सोचते ध्यान आया की उनका एक मित्र लोमड़ी है जो बहुत बुद्धिमान है। तब कौवे के जोड़े ने बुद्धिमान लोमड़ी से मिलने का सोचा ।

 

उसके पश्चात कौवे का जोड़ा बुद्धिमान लोमड़ी के पास गया और अपनी पूरी आपबीती लोमड़ी को सुनाई । लोमड़ी ने सारी कहानी सुनकर कौवे के जोड़े को एक योजना बताई ।

 

और कौवे के जोड़े को कहा की तुम कल नदी के किनारे जाना । वंहा पर

 राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ स्नान करने आती है । और जब

 राजकुमारी स्नान करने से पहले अपने कपडे और गहने उतारे तो तुम


 राजकुमारी की मोतियों की माला उठा लेना और उस दुष्ट सांप के बिल में

 ले जाकर गिरा देना ।

 

कौवे के जोड़े ने लोमड़ी के कहे अनुसार दुसरे दिन राजकुमारी की मोतियों के माला अपनी चोंच से उठा ली और उड़कर सांप के बिल के पास पहुंचकर सांप के बिल में गिरा दी ।

 

कौवे के जोड़े का पीछा करते करते राजकुमारी के सुरक्षा सेनिक भी वंहा पहुँच गये और उन्होंने कौवे के जोड़े को मोतियों की माला सांप के बिल में छुपाते हुवे देख लिया । 

 

कौवा और सांप की कहानी

 

राजकुमारी के सुरक्षा सेनिक सांप के बिल के पास पहुँच गये और सांप के बिल में से मोतियों की माला निकालने के लिए भाले से हमला किया । भाले का वार सांप के मुंह पर लगा और सांप मर गया । और राजकुमारी के सेनिक वो मोतियों के माला लेकर चले गये ।

 

अब कौवे का जोड़ा बहुत खुश था और उसी पेड़ पर अपना जीवन ख़ुशी खुशी व्यतीत करने लगा । अब उन्होंने और अंडे दिए और उनके अंडे से उनके बच्चे भी निकल चुके थे अब कौवे का जोड़ा बहुत खुश था ।

 

शिक्षा :-  यदि आप बुद्धिमान हैं तो आप बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी आसानी से पार कर सकते हैं।

 

 


 

5.हाथी और बंदर की कहानी

 




बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में हाथी और एक बंदर रहते थे। बंदर बहुत ज्यादा फुर्तीला था और तेजी से पेड़ों की टहनियों और शाखाओं पर भाग सकता था और ऊँचे से ऊँचे पेड़ो पर चढ़ सकता था और हाथी बहुत शक्तिशाली और ताकतवर था और बड़े बड़े पेड़ो को तोड़ मोड़ सकता था और अपने पेरो से झाड़ियों को रोंद कर रास्ता बना सकता था ।

 

हाथी और बंदर की कहानी

 

हाथी और बन्दर दोनों को अपनी अपनी खूबियों पर गर्व था और वे दोनों अपने आप को दुसरे से बेहतर समझते थे और आये दिन उन में यही बहस चलती रहती थी की कोन ज्यादा बेहतर है ।

 

इसी बहस को लेकर आये दिन हाथी और बन्दर में तेजी और ताकत दिखाने के मुकाबले होते रहते थे । लेकिन हमेशा हाथी और बंदर दोनों ही जीत जाते थे ।

 

एक दिन उन्होंने तय किया की आज तक हमने कई मुकाबले किये लेकिन दोनों में से बेहतर कोन है पता ही नहीं चला और फिर हाथी और बंदर इसी बात पर एक दुसरे से बहस करने लगे ।

 

हाथी और बंदर जिस पेड़ के नीचे बहस कर रहे थे उसी पेड़ के ऊपर एक उल्लू बेठा था, उल्लू बहुत ही बुद्धिमान था, उल्लू रोज हाथी और बंदर की बहस देखता था ।

 

हाथी और बंदर की रोज रोज के बहस देखकर उल्लू भी तंग आ चूका था इसलिए उल्लू ने सोचा की आज इनके इस मुद्दे को हल करना होगा और इन्हें बताना होगा की हाथी और बंदर में से कोन ज्यादा बेहतर है बताना होगा ।

 

इसलिए दोनों की बहस सुनकर उल्लू बोला की तुम दोनों रोज इसी बात पर झगड़ा करते रहते हो की दोनों में से कोन बेहतर है और में तुम्हारे रोज के झगडे और बहस से तंग आ चूका हु इसलिए आज में ये फैसला कर देता हु की दोनों में से बेहतर कोन है ।

 

 

फिर उल्लू ने कहा की नदी के पार एक बहुत बड़ा पेड़ है उस पेड़ पर एक स्वर्ण फल लगा है तुम दोनों में से जो उस पेड़ पर से वो सवर्ण फल मुझे लाकर देगा वो विजेता होगा और तुम दोनों में सर्वश्रेष्ट भी होगा ।

 

यह सुनकर हाथी और बंदर दोनों खुश हुवे की चलो आज पता चल जायेगा की दोनों दोस्तों में से कोन ज्यादा बेहतर है और किस की खूबिया ज्यादा उपयोगी है ।

 

हाथी और बंदर दोनों उस स्वर्ण फल को लेने के लिए रवाना हो गये । रास्ते में बंदर पेड़ो के ऊपर टहनियों पर लटक लटक कर तेजी से स्वर्ण पेड़ की तरफ जा रहा था और हाथी जमीन पर रास्ते में आने वाली झाड़ियों और पेड़ो को कुचलकर और तोड़ मरोड़कर आगे बढ़ रहा था ।

 

अब उन्हें वो स्वर्ण फल वाला पेड़ नजर आ रहा था लेकिन स्वर्ण फल के पेड़ तक पहुँचने के लिए उन्हें एक बहुत बड़ी और तेज नदी को पार करना था ।

 

बंदर तेजी से नदी में कूदा लेकिन नदी के पानी का बहाव बहुत तेज था और बंदर बहने लगा और बंदर अपनी जान बचाकर वापस नदी के किनारे आ गया और हाथी से बोला की हाथी भाई में तो ये नदी भी पार नहीं कर सकता हूँ ।

 

तब हाथी ने कहा की बंदर मित्र परेशान मत हो और मेरी पीठ पर बेठ जा, इस नदी के पानी की तेज लहरे मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है इस पर बंदर हाथी की पीठ पर बेठ गया ।

 

हाथी का वजन ज्यादा था और हाथी ज्यादा ताकतवर था इसलिए हाथी ने बड़ी ही आसानी से नदी को पार कर लिया । अब हाथी और बंदर नदी को पार कर स्वर्ण पेड़ के नीचे पहुँच चुके थे लेकिन स्वर्ण फल पेड़ पर बहुत ऊँचा लगा हुवा था और स्वर्ण फल का पेड़ बहुत बड़ा और मजबूत तने का था हाथी ने अपनी सूड से पेड़ को पकड़कर हिलाने की कोशिश की लेकिन स्वर्ण फल के पेड़ के तने को मोटा और मजबूत होने के कारण हाथी उसे तेजी से नहीं हिला पाया और स्वर्ण फल तोड़ने में असफल रहा, तब हाथी ने बंदर से कहा मित्र में भी स्वर्ण फल को तोड़ने में असफल रहा हूँ लगता है ये स्वर्ण फल हम प्राप्त नहीं कर सकते है इस पर बंदर ने कहा मित्र परेशान क्यों होते हो तुम्हारा बंदर मित्र कब काम आएगा ।

  

यह कहकर बंदर तेजी से स्वर्ण फल के पेड़ पर चढ़ गया और एक टहनी से दूसरी टहनी पर छलांग लगाते हुवे स्वर्ण फल के पेड़ के ऊपर की टहनी पर पहुँच गया और स्वर्ण फल को तोड़ कर हाथी को लाकर दे दिया ।

 

अब दोनों स्वर्ण फल को लेकर उल्लू के पास पहुंचे और हाथी ने स्वर्ण फल उल्लू को दे दिया ।

 

उल्लू ने कहा की अब में तुम दोनों में से विजेता कोन है घोषित कर देता हूँ लेकिन हाथी ने कहा, नहीं उल्लू महाराज, अब विजेता घोषित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमे समझ आ चूका है की हम दोनों ही की शक्तियां अपनी अपनी जगह बहुत महत्वपूर्ण है बिना दोनों की शक्तिया का उपयोग किये ये स्वर्ण फल लाना संभव है नहीं था । इसलिए इस परीक्षा में हम दोनों ही विजेता है ।

 

तब उल्लू ने दोनों को कहा की मित्रों ईश्वर ने सभी प्राणियों को अलग अलग शक्तिया और खूबियों प्रदान की है और सभी प्राणियों की शक्तियों का अलग अलग जगह पर अलग अलग महत्व है, कभी भी अपनी शक्तियों पर घमंड मत करो ।

 

अब हाथी और बंदर सारी बात समझ चुके थे और उन्होंने ये तय किया की आज के बाद वो अपनी शक्तियों पर घमंड नहीं करेंगे और एक दुसरे का सम्मान करेंगे ।

 

शिक्षा :- कभी भी अपनी शक्तियों पर घमंड नहीं करना चाहिए और एक दुसरे की शक्तियों का सम्मान करना चाहिए और मिलजुलकर एक दुसरे की मदद करनी चाहिए ।

 

 

 

6.शेर और बंदर की कहानी

 


बहुत समय पहले की बात है एक शेर और बंदर एक घने जंगल में रहते थे। शेर जंगल में घूमता थाजबकि बंदर पेड़ो पर रहता था।

 

शेर और बंदर की कहानी

 

एक दिन शेर जंगल में घूम रहा था और उसे बहुत भूख लगी थी, तभी शेर ने जंगल में जमीन पर केले के पत्ते के ऊपर एक मांस का टुकड़ा देखा। शेर ने सोचा "ये मांस का टुकड़ा तो मेरे लिए एक मुफ़्त और आसान भोजन है,"

 

शेर केले के पत्ते के पास चला गयालेकिन जेसे ही शेर ने मांस को अपने दांतों से उठाना चाहा इतने में ही जमीन धसक गयी और शेर एक गहरे खड्डे में गिर गया ।

 

शेर नही जानता था की एक मुफ्त का मांस का टुकड़ा उसको इतना महंगा पड़ेगा की वो किसी शिकारी के जाल में फंस जायेगा और एक बहुत गहरे गड्डे में गिर जाएगा ।

 

असल में वंहा पर किसी शिकारी ने एक बहुत गहरा गड्डा खोद कर उसको केले के पेड़ के छिलकों से ढककर मिटटी डाल दी और उसके ऊपर एक मांस का टुकड़ा रख दिया था ताकि जेसे ही शेर मांस खाने के लिए आये उस गड्डे में गिर जाए और शिकारी उसका शिकार कर ले ।

 

शेर ने गड्डे में से निकलने के लिए बहुत कोशिश की और मदद के लिए बहुत चिल्लाया लेकिन जंगल के जानवर शेर को बचाना नहीं चाहते थे क्योंकि शेर बहुत दुष्ट और धोखेबाज था जंगल के जानवरों को डर था की वो जेसे ही शेर को बचायेंगे शेर उन्हें ही खा जायेगा ।

 

 

शेर ने खड्डे से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन शेर निकल नहीं पा रहा था क्योंकि गड्डा बहुत गहरा था अंततः शेर थक चूका था ।

 

उसी गड्डे के पास एक पेड़ पर एक बंदर रहता था वो बंदर शेर की हालत देख रहा था और बंदर को शेर पर तरस आ रहा था लेकिन बंदर ने भी यही सुना था की शेर बहुत दुष्ट और बेईमान है इसलिए बंदर उसे बचाना नहीं चाहता था ।

 

अब रात होने वाली थी शेर अब बुरी तरह से थक चूका था अब शेर ज्यादा जोर से दहाड़ भी नहीं पा रहा था । बंदर को शेर की हालत देखकर तरस आ गया और बंदर गड्डे के करीब आया । शेर ने बंदर को देखकर हाथ जोड़कर निवेदन किया की बंदर महाराज कृपया मेरी जान बचाओ ।

 

तब बंदर ने शेर से कहा की शेर महाराज मैंने सुना है की आप बड़े दुष्ट और बेईमान है अगर में आपको बचाता हु और उसके बाद कहीं आप मुझे है ना खा जाओ ।

 

शेर ने बंदर से कहा । बंदर मित्र आप ने मेरे बारे में जो भी गलत सुना है वो सब मेरे दुश्मनों ने मेरे बारे में झूठ फेलाया है । में बुरा जानवर नहीं हूँ और बंदर महाराज आप तो मेरे प्राण बचा रहे है में आपको कैसे नुकसान पहुंचा सकता हूँ ।

 

 

बंदर शेर की बातों में आ गया और बंदर ने अपनी पूंछ खड्डे में लटका दी । शेर ने बंदर की पूंछ को कस कर पकड लिया और ऊपर खड्डे से बाहर आ गया । लेकिन शेर ने खड्डे से बाहर आने पर भी बंदर की पूंछ नहीं छोड़ी तब बंदर घबरा गया । बंदर जान चूका था की शेर दिन भर का भूखा है और अब शेर उसे खा कर पेट भरना चाहता है ।

 

बंदर को अब अफ़सोस हो रहा था की वो कैसे शेर की बातों में आ गया । लेकिन अब समय बीत चूका था और बंदर को अपनी मौत दिखाई दे रही थी ।

 

बंदर शेर से निवेदन करता है की शेर महाराज मैंने तो आपके प्राण बचाए है और आप मुझे ही मारकर खाना चाहते है लेकिन शेर को बंदर पर तरस नहीं आता शेर सुबह से भूखा था और केवल अपनी भूख के बारे में सोच रहा था ।

 

इतने में वंहा से एक लोमड़ी गुजरी । लोमड़ी ने शेर और बंदर की आवाज सुनी तो लोमड़ी वंहा पर आ गयी और लोमड़ी ने शेर और बंदर से पूछा की क्या हुवा तो बंदर ने सारी बात लोमड़ी को बताई । लोमड़ी अब सारी बात समझ चुकी थी और उसने शेर से निवेदन किया की बंदर ने तुम्हारी जान बचाई है तुम्हे इसके प्राण नहीं लेने चाहिए लेकिन शेर ने लोमड़ी की भी एक बात नहीं सुनी ।

 

अब लोमड़ी ने सोचा की कैसे भी करके इस बंदर के प्राण तो बचाने ही होंगे तब लोमड़ी ने एक तरकीब सोची और बंदर से कहा ।

 

बंदर अब तुमने दुनिया में बहुत अच्छाईया कर ली है अब तुम्हे हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिये और ईश्वर से कहो की है ईश्वर मेरी अच्छाइयों को स्वीकार करों ।

 

तब बन्दर लोमड़ी की बात मान लेता है और हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करता है ।

 

फिर लोमड़ी शेर से कहती है की तुम भी एक बार इस बंदर को खाने से पहले ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थना करो की है ईश्वर मेरी बुराइयों को माफ़ करो और इस बंदर के मांस को मेरे बहुत ताकतवर बना दो ।

 

शेर भी लोमड़ी के बातों में आकर बंदर की पूंछ छोडकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगता है, इतने में है ही बंदर जल्दी से पेड़ पर चढ़ जाता है और लोमड़ी जंगल में भाग जाती है ।

 

लोमड़ी की बुद्धिमानी से बंदर के प्राण बच जाते है बंदर लोमड़ी का धन्यवाद करता है ।

 

शिक्षा :- बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा अपनी बुद्धिमानी से हर समस्या का हल निकाल लेता है । इसलिए खूब सारी शिक्षा प्राप्त करों और बुद्धिमान बनो ।

 


 

7.सिंड्रेला की कहानी अच्छी अच्छी

 


एक बार की बात हैसिंड्रेला नाम की एक खूबसूरत और दयालु लड़की थी। वह अपनी क्रूर सौतेली माँ और सौतेली बहनों के साथ रहती थी। उसके साथ घर में नौकर की तरह व्यवहार किया जाता था। वह घर की सफाईकपड़े इस्त्री करना सहित घर के सारे काम करती थी।

 

सिंड्रेला की कहानी अच्छी अच्छी 

 

एक दिनउनके घर एक पत्र आया। यह शाही स्वयंवर का निमंत्रण था। राजा और रानी चाहते थे कि उनका बेटा यानि राजकुमार अपनी दुल्हन चुने और इसीलिए राज्य में सभी को आमंत्रित किया गया था। पूरे राज्य की लड़कियां स्वयंवर को लेकर उत्साहित थीं। सिंड्रेला की सौतेली माँ ने तुरंत अपनी दोनों सगी बेटियों के लिए नए खुबसूरत गाउन बनाने शुरू किये । सिंड्रेला ने भी अपने लिए गाउन की सिलाई को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। अपनी बहनों के गाउन के बचे हुवे धागे और मोतियों से सिंड्रेला ने खुद के लिए भी एक गाउन तैयार किया।

 

शाही स्वयंवर के दिनजब सौतेली माँ और सौतेली बहनें निकलने वाली थींउन्होंने सिंड्रेला को गाउन में देखा। दोनों बहनों में जलन हो गई। उन्होंने सिंड्रेला का गाउन फाड़ा डाला और मोतियों को खींचकर तोड़ दिया।

 

सिंड्रेला की कहानी अच्छी अच्छी 

 

सिंड्रेला रोने लगी लेकिन उसकी आँखों के सामने एक परी प्रकट हुवी सिंड्रेला परी को देखकर वह चकित रह गई। परी ने कहा, "मैं तुम्हारी परी गॉडमदर हूं। मुझे पता है कि आप स्वयंवर में जाना चाहती हैं। चिंता न करेंमैं आपकी मदद करूंगी। "

 

उसने फिर अपनी जादू की छड़ी लहराई और सिंड्रेला की फटी ड्रेस को एक आकर्षक खुबसूरत गाउन में बदल दिया। फिर उसने एक लकड़ी के टुकड़े को एक विशाल रथ में बदल दिया। और उसने छह चूहों को चार घोड़ों और दो प्रशिक्षकों में बदल दिया। अब एक चार घोड़ो की शानदार शाही सवारी तेयार थी ।

 

सिंड्रेला की कहानी अच्छी अच्छी 

 

लेकिन परी गॉडमदर ने सिंड्रेला को एक चेतावनी दी की आधी रात होते ही मेरा जादू समाप्त हो जाएगा और सारी चीजे वापस पहले जेसी हो जाएगी ।

 

जब सिंड्रेला स्वयवर कक्ष में दाखिल हुईहर कोई उसके आकर्षण से प्रभावित था। यहां तक ​​कि राजकुमार सिंड्रेला को देखते देखते गिर गया। राजकुमार ने आकर सिंड्रेला से डांस करने के लिए कहा। सिंड्रेला की खुशी कोई सीमा नहीं थी। उन्होंने खूब नृत्य किया और बातचीत की, लेकिन सिंड्रेला को याद आया की आधी रात होने वाली है और सब कुछ पहले जेसा हो जायेगा । सिंड्रेला स्वयवर कक्ष से भाग गई।

 

सिंड्रेला स्वयवर कक्ष से दौड़ रही थीउसकी एक चप्पल महल की सीढ़ियों पर गिर गई। सिंड्रेला बहुत तेजी से दौड़ रही थी इतने में आधी रात हो गयी और सिंड्रेला वापस पहले जेसे फटे गाउन में आ गयी और उसकी शाही सवारी भी वापस चूहों में बदल गयी ।

 

कुछ समय बादउसकी सौतेली माँ और सौतेली बहनें घर पहुँचीं। वे सिंड्रेला का मजाक उड़ा रही थी और उस पर जोर जोर से हंस रही थी । इस पर सिंड्रेला रोने लगी उसकी आँखों से  आंसू आ रहे थे ।

 

लेकिन राजकुमार को सिंड्रेला से प्यार हो गया था लेकिन वह इस बात से अनजान था कि वह कौन है ! वह उससे शादी करना चाहता था। जैसे ही उसे सिंड्रेला की चप्पल मिलीवह उस चप्पल को फिट करने वाले पैर की तलाश में चला गया।

 

राजकुमार और उसके नौकर हर घर में लड़की की तलाश कर रहे थे। अंत मेंवे सिंड्रेला के घर पहुँचे। सौतेली बहनों ने चप्पल में अपना पैर फिट करने की बहुत कोशिश की लेकिन ऐसा करने में असमर्थ थीं। राजकुमार ने तब सिंड्रेला को चप्पल आजमाने के लिए कहा।

 

सौतेली माँ ने सिंड्रेला का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि वह एक नौकर है इसलिए वह उस खूबसूरत लड़की की तरह नहीं हो सकती। लेकिन राजकुमार ने जोर देकर कहा कि उसे भी कोशिश करनी चाहिए। जब उसने चप्पल के अंदर पैर रखातो यह पूरी तरह से फिट थी ।

 

राजकुमार को आखिरकार वह लड़की मिल गई जिसकी उसे तलाश थी। उन्होंने शादी कर ली और हमेशा के लिए खुशी ख़ुशी रहने लगे ।

 

शिक्षा :- खूबसूरती आपके व्यवहार में होती है कपड़ो में नहीं ।

 

 

8.किसान और सांप की कहानी

 


बहुत समय पहले की बात है । एक बार एक किसान एक दिन शहर से अपने घर लौट रहा था । बहुत ज्यादा सर्दी हो रही थी । रास्ते में उसने देखा कि ठंड के कारण एक साँप लगभग जमा हुआ है और उसके शरीर पर कुछ छड़ी की चौटो के निशान भी है ।

 किसान को सांप पर दया आ गयी । किसान ने सांप को अपने पास एक टोकरी में डाल लिया और कुछ कपड़ों से ढक दिया ताकि सांप को कुछ गर्मी मिले । 


किसान और सांप की कहानी

 

किसान सांप के प्राण बचाना चाहता था । इसलिए किसान ने तेजी से दौड़ना शुरू कर दिया ताकि जल्द से जल्द घर पहुँच जाए और सांप को आग से कुछ गर्मी दे सके और उसकी चौटो पर कुछ मलहम लगा सके ।

 

थोड़ी देर में किसान घर पहुँच गया । उसने जल्दी से सांप को टोकरी से निकाला और अपनी पत्नी से कहा की चूल्हा जला दो ताकि सांप को कुछ गर्मी दे सके और कुछ पुराने कपडे मंगवाए ताकि सांप को उन पर लेटा सके ।


किसान की पत्नी ने जल्दी से कुछ कपडे किसान को लाकर दिए और चूल्हा जला दिया । किसान ने सांप को चूल्हे के नजदीक पुराने कपड़ों पर लेटा दिया और कुछ जड़ी बूटियां रगड़कर सांप की चौटों पर लगा दी ।

 

थोड़ी देर में सांप हिलने लगा । यह देखकर किसान और किसान का परिवार बहुत खुश हुवा की उन्होंने सांप के प्राण बचा लिए है । 

 


किसान और सांप की कहानी

 

किसान के बच्चे सांप के पास बेठे बेठे उसे देख रहे थे । अब मलहम से सांप की चौटो में कुछ आराम आ चूका था और गर्मी से सांप में कुछ जान आ चुकी थी । अब सांप ने थोडा थोडा चलना शुरू किया ।

 

किसान भी पास ही बेठा बेठा यह सब कुछ देख रहा था । इतने में किसान ने देखा की सांप ने उसके बच्चे को काटने के लिए उसके पांव के ऊपर हमला किया । लेकिन उसके बच्चे के पांव से थोडा दूर रह गया ।

 

अब सांप ने दुबारा उस बच्चे को काटने के लिए तेयारी की लेकिन किसान ने जल्दी से एक लाठी ली और सांप के मुंह पर मार कर सांप को मार दिया ।

 

शिक्षा :- कभी भी किसी की प्रकृति को बदला नहीं जा सकता ।

 

 


 

9.समुंदरी चुडेल और नन्ही रतन जल परी की कहानी


बहुत समय पहले की बात है समुन्द्र के बीचो बीच गहराई में एक राजा का महल था उस महल में राजा और उसकी दो बेटियां रहती थी राजा की सबसे बड़ी बेटी का नाम चमन जल परी और उससे छोटी का नाम रतन जल परी था

 रतन जल परी बहुत ही सुन्दर थी और उसकी आवाज बहुत ही खुबसूरत और मनमोहक थी जब भी रतन जल परी गाना गाती समुन्द्र के सारे जीव खुश हो जाते थे

 

समुंदरी चुडेल और नन्ही रतन जल परी की कहानी

 

रतन जल परी समुन्द्र के उपरी सतह पर आकर लहरों के साथ तेरना चाहती थी मगर यह नियम था की कोई भी परी 15 वर्ष की होने से पहले समुन्द्र की उपरी सतह पर नहीं जा सकती है

 

आज वो दिन था जब रतन जल परी की बड़ी बहन 15 वर्ष की होने वाली थी इस कारण चमन जल परी बहुत खुश थी की आज वह समुन्द्र की उपरी सतह पर जाकर लहरों के साथ तेरेगी और समुन्द्र के उपरी सतह से वह आसमान को भी देखेगी

 

चमन जल परी का इंतजार खत्म हुवा अब वह समुन्द्र की उपरी सतह पर जाकर लहरों के साथ तेर सकती थी चमन जल परी बिना इन्तेजार किये समुन्द्र की उपरी सतह पर आ गयी और लहरों के साथ तेरना शुरू किया चमन परी ने डूबते हुए सूरज को देखा और बड़े बड़े जहाज को समुन्द्र की उपरी सतह पर तेरते देखा

 

चमन जल परी कई देर तेरने के बाद वापस समुन्द्र में अपने राज्य में गयी और उसने सबको नीले आसमान और बादलों पहाड़ो और बड़े बड़े जहाजों के बारे में बताया आज चमन जल परी बहुत खुश थी

 

रतन जल परी ने भी अपनी बड़ी बहन से नीले आसमान और बादलों पहाड़ो और बड़े बड़े जहाजों के बारे में सुना अब रतन जल परी भी समुन्द्र की उपरी सतह पर जाकर लहरों के साथ तेरने को व्याकुल थी वह भी आसमान पहाड़ और बड़े बड़े जहाज देखना चाहती थी लेकिन अभी वह मात्र 14 वर्ष की थी उसे एक साल और इंतजार करना था 

 

समय बीतता गया और एक साल गुजर गया आज नन्ही रतन जल परी भी 15 वर्ष की हो चुकी थी और समुन्द्र की उपरी सतह पर जाकर लहरों के साथ तेरने के लिए रवाना हुई

 

रतन जल परी समुन्द्र भी उपरी सतह पर आकर लहरों के साथ तेर रही थी और दूर दूर दिखने वाले पहाड़ों को देख रही थी डूबते सूरज की किरणों से लहरों की चमक अलग ही लग रही थी बड़े बड़े जहाज समुन्द्र में तेर रहे थे इन सब को देखकर रतन जल परी बहुत खुश हुई

 

रतन जल परी ने देखा की एक जहाज पर पार्टी चल रही है जंहा बीच में एक लड़का खड़ा है जिसने मुकुट पहना है और उसके चारो और कई लोग खड़े है जो उसे जन्म दिन की बधाई दे रहे जहाज पर खूब नाच गाना चल रहे है सभी बहुत खुश है

 

इतने में शायद जहाज के नीचे कोई चट्टान टक्कर जाती है और जहाज टूट जाता है और सारे लोग डूबने लगने है रतन जल परी यह सब देख कर घबरा जाती है

 

रतन जल परी ने देखा की वह खुबसूरत राजकुमार भी डूब रहा है रतन जल परी जल्दी से उस राजकुमार के पास जाती है राजकुमार बेहोश हो चूका होता है राजकुमार की सुन्दर आँखों को देखकर रतन जल परी को राजकुमार से प्यार हो जाता है

 

रतन जल परी उसे अपनी बांहों में भरकर समुन्द्र के किनारे ले आती है और राजकुमार को होश में आने के लिए आवाज देती है इतनी मनमोहक आवाज सुनकर राजकुमार को होश आने वाला ही होता है इतने में राजकुमार के सेनिक राजकुमार को खोजते खोजते वंहा आ जाते है

 

सेनिकों को देखकर रतन जल परी छुप जाती है राजकुमार रतन जल परी को देख तो नहीं पाता लेकिन उसकी मनमोहक आवाज सुन लेता है और उसे उससे प्यार हो जाता है

 

रतन जल परी वापस समुन्द्र की गहराई में अपने राज्य में आ जाती है जंहा सभी उसका इंतजार कर रहे होते है लेकिन सभी देखते है की रतन जल परी बहुत दुखी है सभी उससे उसके दुखी होने का कारण पूछते है लेकिन रतन जल परी कुछ नहीं बताती है

 

नन्ही रतन जल परी की कहानी


रतन जल परी की उदासी देख कर उसकी दादी उसके पास आती है और उसकी उदासी का कारण पूछती है तब रतन जल परी अपनी दादी को सारी बात बता देती है की उसे उस राजकुमार से प्यार हो गया है लेकिन वह जमीन पर नहीं रह सकती है क्योंकि उसके पैर नहीं है

 

रतन जल परी के बात सुनकर उसकी दादी कहती है की समुन्द्र के दुसरे किनारे पर एक समुंदरी चुडेल रहती है उसके पास काला जादू है अगर वो चाहे तो तुम्हारे पैर बना सकती है लेकिन वह बहुत खतरनाक और दुष्ट है इतना सुनते ही रतन परी जल्दी समुंदरी चुडेल के पास जाने के लिए रवाना हो जाती है

 

समुंदरी चुडेल के पास पहुंचकर रतन जल परी चुडेल से कहती है की मुझे एक राजकुमार से प्यार हो गया है और मुझे उससे विवाह करना है इसलिए मुझे जमीन पर रहना है और जमीन पर रहने के लिए मुझे पैर चाहिए

 

समुंदरी चुडेल रतन जल परी से कहती है की में तुम्हे पैर तो दे सकती हूँ लेकिन तुम्हे भी इसके बदले में मुझे कुछ देना होगा और साथ में एक शर्त भी होगी

 

रतन जल परी उससे कहती की तुम्हे जो चाहिए वो दे दूंगी और तुम्हारी हर शर्त मुझे मंजूर है तुम बस मुझे पैर दे दो

 

इस पर समुंदरी चुडेल कहती की मुझे तुम्हारी आवाज चाहिए और  अगर उस राजकुमार से किसी और राजकुमारी का विवाह हुआ तो उसके अगले दिन तुम्हारी मुत्यु हो जाएगी

 

रतन जल परी बिना कुछ सोचे हाँ भर देती है समुंदरी चुडेल रतन जल परी को एक बोतल देती है जिसमे हरा पानी भरा होता है

 

समुंदरी चुडेल रतन जल परी को उसे पिने के लिए कहती है रतन जल परी जल्दी से उस हरे पानी को पी लेती है उस हरे पानी को पीते ही रतन जल परी को बहुत तेज दर्द होता है और रतन जल परी बेहोश हो जाती है

 

कुछ समय बाद जब रतन जल परी को होश आता है तो वह समुन्द्र के किनारे पड़ी होती है वो अपनी पूंछ के तरफ देखती है लेकिन अब उसके पूंछ नहीं है पूंछ की जगह अब उसके इंसानों जेसे दो पांव है

 

रतन परी पांव देखकर बहुत खुश होती है लेकिन जब वह बोलने की कोशिश करती है तो बोल नहीं पाती है समुंदरी चुडेल के कहे अनुसार उसकी आवाज समुंदरी चुडेल ने ले ली थी  

 

इतने में वही राजकुमार वंहा आता है और देखता है की एक बहुत खुबसूरत लड़की समुन्द्र के किनारे पड़ी है राजकुमार उसकी मदद करता है और उसे अपने साथ महल में ले जाता है

 

राजकुमार रतन जल परी से उसका नाम पूछता है, लेकिन रतन जल परी बोल नहीं सकती, राजकुमार सोचता है की शायद समुन्द्र में डूबने से इसकी आवाज चली गयी, राजकुमार उसे अपनी दोस्त बना लेता है

 

राजकुमार रतन जल परी को कहता है की उसे एक लड़की से प्यार है लेकिन उसने उसे देखा नहीं है केवल उसकी आवाज सुनी है उस लड़की ने उसके समुन्द्र में डूबने से प्राण बचाए थे

 

रतन जल परी यह सब सुन रही थी उसकी आँखों में आंसू आ रहे थे वो राजकुमार को सब कुछ कहना चाहती थी लेकिन वो बोल नहीं सकती थी

 

रतन जल परी की कहानी

 

राजकुमार के माता पिता राजकुमार के पास आते है और उससे कहते है हमने तुम्हारे विवाह के लिए एक लड़की खोजी है तुम उससे एक बार मिल लो इस पर राजकुमार अपने माता पिता से कहता है की वह केवल उसी लड़की से विवाह करेगा जिसने उसके प्राण बचाए थे

 

राजकुमार के माता पिता राजकुमार को उससे मिलने के लिए जोर देते है तब राजकुमार उससे मिलने के लिए तेयार हो जाता है और वह अपनी दोस्त रतन जल परी को साथ लेकर उससे मिलने जाता है

 

राजकुमार उस राजकुमारी से मिलता है और जब वह राजकुमारी बोलती है तब राजकुमार उसकी मनमोहक आवाज सुनकर उससे प्यार करने लगता है रतन जल परी उस राजकुमारी को पहचान लेती है वो राजकुमारी की भेष में समुंदरी चुडेल थी जिसने उसकी पेरो के बदले आवाज ली थी

 

उधर रतन जल परी की बड़ी बहन और दादी, समुन्द्र के राजा के पास जाती है और सारी बात बताती है समुन्द्र का राजा जल्दी से अपनी बेटी रतन जल परी को बचाने के लिए समुंदरी चुडेल के पास जाता है

 

राजा समुंदरी चुडेल को कहता है की तूने मेरी बेटी को अपने जाल में फंसा लिया है अब वह उस राजकुमार को कुछ बता नहीं सकती है और तु उस राजकुमार से विवाह करके मेरी बेटी को मारना चाहती है तु मेरी बेटी को जीवन दान दे दे तुझे जो चाहिए में तुझे दूंगा

 

समुंदरी चुडेल राजा से कहती है की अगर तु मुझे राजा बना दे तो में तेरी बेटी के प्राण नहीं लुंगी इस पर राजा तेयार हो जाता है लेकिन धोखेबाज समुंदरी चुडेल समुन्द्र की राजा भी बन जाती है और दुसरे दिन उस राजकुमार से विवाह भी करने आ जाती है

 


राजकुमार का विवाह बड़े ही धूमधाम से समुन्द्र में एक बड़े जहाज पर आयोजित किया जाता है समुंदरी चुडेल और राजकुमार का विवाह होने ही वाला होता है इतने में रतन जल परी की बहन जहाज को एक  चट्टान से टकरा देती है राजकुमार यह सब देख लेता है

 

रतन जल परी की कहानी

 

राजकुमार उसे मारने के लिए एक खंजर फेंकता है लेकिन वो खंजर समुंदरी चुडेल के गले में लग जाता है समुंदरी चुडेल के गले में लगते ही उसकी आवाज चली जाती है और रतन जल परी की आवाज वापस आ जाती है

 

राजकुमार रतन जल परी की बहन को मारने वाला ही होता है इतने में  रतन जल परी बोलती है और राजकुमार को सारी सच्चाई बताती है राजकुमार उस दुष्ट और बेईमान चुडेल को जान से मार देता है

 

राजकुमार और रतन जल परी का विवाह हो जाता है और दोनों बड़ी ही ख़ुशी ख़ुशी महल में रहते है और समुन्द्र के राजा को उसका राज्य वापस मिल जाता है

 

शिक्षा :- दुष्ट और बेईमान लोगो से कभी भी मदद मत लो, दुष्ट लोग मदद के समय भी पहले अपना लाभ सोचते है 



10.भेड़िया और बकरी के 7 बच्चे कहानी



 बहुत समय पहले की बात बात है। एक बकरी अपने 7 बच्चों के साथ एक घर में रहती है। लेकिन बकरी को अपने और अपने बच्चों का पेट भरने के लिए भोजन लाने के लिए जंगल में जाना होता है।

 

लेकिन बकरी को यह चिंता होती है के एक दुष्ट भेडिये की नजरे उसके बच्चों पर है और वो दुष्ट भेड़िया मोका पाते ही उसके बच्चों के मार कर खा जायेगा।

 

इसलिए बकरी अपने बच्चों के समझाती है की वह भोजन के लिए बाहर जा रही है तुम दरवाजा बंद रखना वो दुष्ट भेड़िया तुम्हे खाने के लिए आएगा और तुम्हे धोखा देने की कोशिश करेगा लेकिन तुम मेरी आवाज और मेरे पेरो से मुझे पहचान सकते हो।

 

यह कहकर बकरी भोजन के लिए जंगल चली जाती है और बकरी के 7 बच्चे दरवाजा बंद कर लेते है।

 

मोका पाकर थोड़ी देर बाद वो दुष्ट भेड़िया बकरी के घर के दरवाजे पर आता है और अपनी आवाज को बदल कर कहता है। बच्चों दरवाजा खोलो तुम्हारी ममा आ चुकी है और तुम्हारे लिए तुम्हारा पसंदीदा भोजन लाई है।

 

लेकिन बकरी के 7 बच्चें भेडिये की कर्कश आवाज पहचान लेते है और दरवाजा नहीं खोलते है। फिर भेड़िया बाजार जाता है और बाजार से शहद चुराता है और शहद खाकर अपनी आवाज को नरम और पतली करता है।

 

भेड़िया और बकरी के 7 बच्चे

 

फिर दुष्ट भेड़िया बकरी के घर के दरवाजे पर आता है और अपनी आवाज को बदल कर कहता है। बच्चों दरवाजा खोलो तुम्हारी ममा आ चुकी है और तुम्हारे लिए तुम्हारा पसंदीदा भोजन लाई है।

 

इस बार बकरी के बच्चे उस मीठी और पतली आवाज को अपनी माँ की आवाज समझते है और दरवाजा खोलने वाले ही होते है। इतने में बकरी के सबसे छोटे बच्चे ने अपने बड़े भाइयों को दरवाजा खोलने से रोका और गेट की दरार से बाहर देखा।

 

छोटे बच्चे ने भेडिये के बड़े और काले पेरो को पहचान लिया और दरवाजा नहीं खोला और भेड़िया फिर से चला जाता है।

 

अबकी बार भेड़िया एक आटे की चक्की पर जाता है और वंहा से कुछ आटा चुराता है और उस आटे से अपने पेरों को सफ़ेद कर लेता है और फिर दुष्ट भेड़िया बकरी के घर के दरवाजे पर आता है और अपनी आवाज को बदल कर कहता है। बच्चों दरवाजा खोलो तुम्हारी ममा आ चुकी है और तुम्हारे लिए तुम्हारा पसंदीदा भोजन लाई है

 

बकरी के बच्चे उस आवाज को मीठी और पतली और गेट के दरार से सफ़ेद पांवों को देखकर खुश होते है उन्हें लगता है की उनकी ममा आ गयी है और दरवाजा खोल देते है।

 

भेड़िया और बकरी के 7 बच्चे

 

दरवाजा खुलते ही भेड़िया उन बकरी के बच्चों पर हमला बोल देता है। बकरी का सबसे छोटा बच्चा एक बड़ी संदूक में छुप जाता है। भेड़िया काफी भूखा होता है। वो जल्दी जल्दी में बकरी के बच्चों को जिन्दा ही निगल जाता है।

 

बकरी के 6 बच्चों को निगलने के बाद भेड़िया जरा भी चल नहीं पाता और पास के एक पेड़ के नीचे सो जाता है।

 

इतने देर में बकरी अपने घर आती है और देखती है की उसके घर का दरवाजा खुला पड़ा है। बकरी जल्दी से अन्दर जाती है। बकरी का छोटा बच्चा संदूक से बाहर निकल कर आता है और अपनी माँ को सारी बात बताता है।

 

बकरी देखती है की भेड़िया पास के पेड़ के नीचे पेट फुलाया सो रहा है और वह हिल भी नहीं सकता है। बकरी अपने सबसे छोटे बच्चे को जल्दी से कैंचीएक सुई और कुछ धागा लाने के लिए कहती है।

 

भेड़िया और बकरी के 7 बच्चे

 

बकरी भेड़िये का पेट खोलती है और अपने 6 बच्चों को भेडिये के पेट से बाहर निकाल लेती है और भेडिये के पेट को चट्टानों से भर देती हैं और भेडिये के पेट की वापस सिलाई कर देती है।

 

जब भेड़िया उठता है तो वह बहुत प्यासा होता है। वह पानी पीने के लिए नदी के पास जाता है लेकिन चट्टानों के वजन के कारण नदी में गिर जाता है और डूब जाता है। बकरी और बकरी के 7 बच्चे अब ख़ुशी ख़ुशी रहने लगते है।

 


 

11.मोगली और शेर खान की कहानी | जंगल बुक मोगली

 


दोस्तों आज हम मोगली और शेर खान की कहानी पढेंगे यह कहानी असल में द जंगल बुकनाम की कहानी का ही हिंदी भाषा में सारांश है।

 

द जंगल बुक एक छोटे बच्चे मोगली की कहानी है जो भेड़ियों के एक झुण्ड के द्वारा घने जंगल में पाला गया है। द जंगल बुकपुस्तक रुडयार्ड किपलिंग द्वारा लिखी गई क्लासिक कहानियों में से एक है।

 

मोगली और शेर खान की कहानी

 

दोस्तों मोगली और शेर खान की कहानी तब शुरू होती है जब बघीरा जो की एक बहुत ही अच्छा पैंथर है उसे एक छोटा बच्चा मिलता है वो इसे पालने और उसकी सुरक्षा के लिए उसे भेड़ियों के झुण्ड को दे देता है। भेड़ियों के झुण्ड की सरदार मदर वुल्फ मोगली को अपने बच्चों के साथ अपने ही बच्चे की तरह पालती है ।

 

इस तरह मोगली की कहानी शुरू होती है जंगल में मोगली का रोमांच शुरू होता है। इस कहानी में बालू नाम का एक बड़ा भूरा भालू है जो मोगली का दोस्त और शिक्षक है। एक बघीरा जो की काले रंग का पैंथर है  मोगली का सबसे अच्छा दोस्त है।

 

मोगली और शेर खान की कहानी

 

मोगली ने भेडियों के पिता से जंगल के सभी तरीके सीखे। भेडियों के पिता मोगली को जंगलजंगल की आवाजेव्यापार और हर चीज़ के बारे में सिखाता है। मोगली शेर खान को छोड़कर जंगल के सभी जानवरों को अपना दोस्त बना लेता है।

 

शेर खान एक खतरनाक बाघ है जिसका जंगल में बहुत ज्यादा आतंक है। शेर खान घमंडी है और खुद को जंगल का मालिक समझता है। उसे जंगल में मोगली जो की एक इन्सान का बच्चा है की उपस्थिति पसंद नहीं थी। इसलिए शेर खां मोगली को मारने के लिए अवसर की तलाश में रहता है।

 

कुछ सालों बाद मोगली ऊर्जा और ताकत से भरा एक युवा लड़का बन गया है। मोगली हमेशा जंगल के नियमों का पालन करता है। जंगल में उसके कई दोस्त हैं जिनके साथ वह मज़े करता है। लेकिन मोगली जानता था कि एक दिन शेर खान उसे मारने आएगा।

 

मोगली और शेर खान की कहानी

 

एक दिन बल्लू मोगली के पास आता है और उसे सूचित करता है कि शेर खान ने उसे मारने की योजना बनाई है। फिर मोगली ने बहुत समझदारी से बैल की मदद से शेर खान को हराने की योजना बनाता है।

 

अंत मेंमोगली शेर खान को हराने में सफल रहता है और मोगली के बचने और शेर खान के हार के कारण जंगल में हर कोई खुश होता है।

 

दोस्तों मोगली और शेर खान की कहानी असल में द जंगल बुककहानी का सारांश है द जंगल बुक एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है। द जंगल बुक बहुत ही रोमांचक और साहसिक कहानी है।

 

यह कहानी हमे दोस्ती के बंधन और दूसरों की मदद करने और हमारे स्वयं के भय का सामना करना और हमें बिना शर्त प्यार करना आदि के बारे में बहुत कुछ सिखाती है । 

 

 


 

12.सुनहरी जादुई मछली और मछुआरा की लालची पत्नी की कहानी

 


एक बार एक मछुआरा थाजो समुद्र के किनारे एक टूटी हुई झोंपड़ी में रहता था और दिन भर मछलियाँ पकड़ता और उन्हें बेचकर अपना घर चलाता था, लेकिन मछुआरा की पत्नी बहुत लालची थी, वो हर रोज मछुआरा से गाली गलोच और लड़ाई झगडा करती और कहती की जाओ, और ज्यादा मछलियाँ पकड़ों और उन्हें बेचकर खूब सारा पैसा मुझे लाकर दो ।

 

मछुआरा अपनी पत्नी के लालच से बहुत परेशान था और दिन भर समुन्द्र के किनारे बेठा रहता और मछलियाँ पकड़ता रहता लेकिन मछुआरा अपनी जरुरत से ज्यादा मछलियां नहीं पकड़ता था ।

 

एक दिन मछुआरा अपनी छड़ी के साथ किनारे पर अपनी नाव में बैठा था और जगमगाती लहरों को देख रहा थाअचानक उसकी नाव पानी में गहराई में चली गयी और जब मछुआरा संभला तो देखा की उसके जाल में एक सुनहरी जादुई मछली फंस गयी है ।

 

मछुआरा कुछ समझता उससे पहले ही उस सुनहरी जादुई मछली ने मछुआरा से कहामित्र मुझे जीवन दान दे दो और मुझे समुन्द्र में डाल दो, में एक सुनहरी जादुई मछली हूँ ।

 

जादुई मछली और मछुआरा की लालची पत्नी की कहानी

 

मछुआरे ने कहा ‘’अरे हाँ मुझे इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे आपसे कोई लेना-देना नहीं हैआप बात कर सकती है इसलिए आप जाइए और समुन्द्र में तेरिये यह कहते हुवे मछुआरे ने सुनहरी जादुई मछली को समुन्द्र में डाल दिया ।

 

जब शाम को मछुआरा अपने घर अपनी पत्नी के पास गया तो मछुआरे ने अपनी पत्नी को बताया कि आज उसने एक सुनहरी जादुई मछली पकड़ी थी लेकिन वो उसके किसी काम की नहीं थी इसलिए उसे वापस समुन्द्र में छोड़ दिया ।

 

यह सुनकर मछुआरे की लालची पत्नी ने कहा ‘’अरे मुर्ख इन्सान ईश्वर ने तुम्हे रुपये कमाने का एक अवसर दिया था और तुमने उसे भी खो दिया’’ तुम उस सुनहरी जादुई मछली से जो कुछ भी मांगते वो तुम्हे अपने प्राणों को बचाने के बदले में दे देती’’

 

अब अभी के अभी जाओ और उस सुनहरी जादुई मछली को खोजो और उससे उपहार स्वरूप एक छोटी सी झोपड़ी मांगो ।

 

मछुआरे को अपनी पत्नी की बात बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी लेकिन वो जानता था की अगर वह अभी नहीं जायेगा तो उसकी पत्नी रात भर उसे सोने नहीं देगी और झगडा करेगी इसलिए मछुआरा समुद्र के किनारे पर चला गया और समुन्द्र के किनारे पर खड़ा होकर जोर से चिल्लाया ।

 

हे समुद्र की सुनहरी जादुई मछली !


क्या तुम मुझे सुन सकती हो !


मेरी पत्नी ने मुझे तुम्हारे प्राण बचाने के बदले में उपहार मांगने के लिए भेजा है !

 

तभी सुनहरी जादुई मछली मछुआरे के पास तैर कर आई और बोली, "अच्छातुम्हारी पत्नी की इच्छा क्या है ?

 

मछुआरे ने कहा "वह कहती है कि जब मैंने तुम्हें पकड़ा थातो मुझे तुम्हारे प्राण बचाने के बदले में तुमसे कुछ माँगना चाहिए था इसलिए उसने मुझे कहा है की में तुमसे एक छोटी सी झोपड़ी मांगू ।

 

सुनहरी जादुई मछली ने कहा "घर जाओ मछुआरेतुम्हारी पत्नी की इच्छा पूरी हो चुकी है ! लेकिन याद रखना में तुम्हारी पत्नी की 3 इच्छाए ही पूरी कर सकती हूँ और अंतिम इच्छा तुम्हारा वर्तमान होगा, मछुआरा अपने घर गया और अपनी पत्नी को एक अच्छी झोपड़ी के दरवाजे पर खड़ा देखा।

 

मछुआरे की पत्नी ने मछुआरे को झोपडी के अन्दर बुलाया और कहा देखो मेरी बात मानने का परिणाम "क्या यह हमारी टूटी हुई झोपडी से अच्छी नहीं है देखो इस झोपडी में एक बेडरूम और एक रसोई घर भी है और झोपड़ी के पीछे एक छोटा सा बगीचा भी है जिसमें सभी तरह के फूल और फल लगे है और पीछे एक आँगन भी है जो बत्तखों और मुर्गियों से भरा हुआ है। यह सब देख कर मछुआरे ने कहा, "ठीक है अब हम खुशी से रहेंगे तुम्हारी इच्छा पूरी हो चुकी है !

 

जादुई मछली और मछुआरा की लालची पत्नी की कहानी

 

दो तीन सप्ताह तक तो सब कुछ सही चला फिर मछुआरे की पत्नी ने मछुआरे से कहा, "स्वामीइस झोपड़ी में हमारे लिए पर्याप्त जगह नहीं है और आंगन और बगीचा बहुत छोटा है। घास की झोपडी में बरसात का पानी आता है मुझे एक बड़ा पत्थर का महल रहने के लिए चाहिए। तुम फिर से सुनहरी जादुई मछली के पास जाओ और उससे कहो कि हमें एक महल दे दो। "

 

मछुआरे ने अपनी लालची पत्नी से कहा, "मुझे फिर से सुनहरी जादुई मछली के पास कुछ मांगने के लिए जाना अच्छा नहीं लग रहा हैहमारे पास बहुत ही सुन्दर झोपडी है हमे इसी में खुश रहना चाहिए ।

 

मछुआरे की पत्नी ने कहा, बकवास मत करो और मेरा कहना मानो और जाओ और कोशिश करो !

 

मछुआरा चला गयालेकिन वह दिल से बहुत ही दुखी था और जब वह समुद्र की किनारे पहुंचा तो मछुआरा समुन्द्र के किनारे पर खड़ा होकर जोर से चिल्लाया ।

 

हे समुद्र की सुनहरी जादुई मछली !


क्या तुम मुझे सुन सकती हो !


मेरी पत्नी ने मुझे तुम्हारे प्राण बचाने के बदले में उपहार मांगने के लिए भेजा है !

 

तभी सुनहरी जादुई मछली मछुआरे के पास तैर कर आई और बोली, "अच्छातुम्हारी पत्नी की इच्छा क्या है ?

 

मछुआरे ने कहा "वह कहती है कि जब मैंने तुम्हें पकड़ा थातो मुझे तुम्हारे प्राण बचाने के बदले में तुमसे कुछ माँगना चाहिए था इसलिए उसने मुझे कहा है की में तुमसे एक पत्थर का महल मांगू ।

 

सुनहरी जादुई मछली ने कहा "घर जाओ मछुआरेतुम्हारी पत्नी की दूसरी इच्छा पूरी हो चुकी है ! लेकिन याद रखना में तुम्हारी पत्नी की 3 इच्छाए ही पूरी कर सकती हूँ, मछुआरा अपने घर गया और अपनी पत्नी को एक महल के दरवाजे पर खड़ा देखा।

 

मछुआरे की पत्नी ने मछुआरे से कहा, "देखो यह कितना भव्य हैवे महल में एक साथ गए और वहाँ उन्हें बहुत से नौकर मिलेऔर बहुत सारे कमरे सभी बड़े पैमाने पर सुसज्जित थे और सुनहरे रंग की कुर्सियों से भरे हुए थे। महल के पीछे एक बगीचा थाऔर उसके चारों ओर एक आधा मील लंबा एक पार्क थाजिसमें भेड़बकरीखरगोश और हिरण भरे थे और आंगन में अस्तबल और गाय के घर थे।

 

जादुई मछली और मछुआरा की लालची पत्नी की कहानी

 

यह सब देख कर मछुआरे ने कहा, "ठीक है अब हम खुशी से रहेंगे तुम्हारी इच्छा पूरी हो चुकी है !

 

दो तीन सप्ताह तक तो सब कुछ सही चला फिर मछुआरे की पत्नी ने मछुआरे से कहा, "स्वामीइस महल में हमारा रहना व्यर्थ है क्योंकि महलों में तो केवल राजा रहते है । तुम फिर से सुनहरी जादुई मछली के पास जाओ और उससे कहो कि मुझे राजा बना दे। "

 

मछुआरे ने अपनी लालची पत्नी से कहा, "मुझे फिर से सुनहरी जादुई मछली के पास कुछ मांगने के लिए जाना अच्छा नहीं लग रहा हैहमारे पास बहुत ही सुन्दर महल और जरुरत का सब कुछ है तुम्हे लालच नहीं करना चाहिए हमे इसी में खुश रहना चाहिए ।

 

मछुआरे की पत्नी ने कहा, बकवास मत करो और मेरा कहना मानो और जाओ और कोशिश करो !

 

मछुआरा चला गयालेकिन वह दिल से बहुत ही दुखी था और जब वह समुद्र की किनारे पहुंचा तो मछुआरा समुन्द्र के किनारे पर खड़ा होकर जोर से चिल्लाया ।

 

हे समुद्र की सुनहरी जादुई मछली !


क्या तुम मुझे सुन सकती हो !


मेरी पत्नी ने मुझे तुम्हारे प्राण बचाने के बदले में फिर उपहार मांगने के लिए भेजा है !

 

तभी सुनहरी जादुई मछली मछुआरे के पास तैर कर आई और बोली, "अच्छातुम्हारी पत्नी की इच्छा क्या है ?

 

मछुआरे ने कहा "वह कहती है कि जब मैंने तुम्हें पकड़ा थातो मुझे तुम्हारे प्राण बचाने के बदले में तुमसे कुछ माँगना चाहिए था इसलिए उसने मुझे कहा है की तुम उसे राजा बना दो ।

 

सुनहरी जादुई मछली ने कहा "घर जाओ मछुआरेतुम्हारी पत्नी की तीसरी इच्छा पूरी हो चुकी है ! मछुआरा अपने घर गया और अपनी पत्नी को एक टूटी हुई झोपडी के दरवाजे पर खड़ा देखा।

 

मछुआरा ने अपनी पत्नी को बताया की तुम्हारी केवल तीन इच्छाए ही पूरी हो सकती थी और तीसरी इच्छा तुम्हारा वर्तमान था हमे केवल दो इच्छाए ही करनी चाहिए थी तुम्हारे लालच की वजह से तुमने सब कुछ खो दिया ।

 

शिक्षा :- लालच बुरी बला है ।

 



 

13.गरीब और अमीर की कहानी | गरीब vs अमीर

 


एक बार एक शहर में अमीर आदमी रहता था उसका एक बेटा था उसका बेटा एक बहुत बड़े घरशानदार कारों और खिलौनों से भरे कमरे जेसे आरामदायक जीवन के साथ बड़ा हुआ था और आये दिन अपने पिता से फालतू खर्च करने के लिए पैसे मांगता और हमेशा ईश्वर से शिकायत करता की उनको ईश्वर ने कुछ नहीं दिया है

 

अमीर आदमी अपने बेटे को लेकर बहुत चिंतित था क्योंकि इस आरामदायक जीवन ने उसे आलसी और कामचोर बना दिया था अब वो नहीं जानता था की मेहनत क्या होती है

 

अमीर आदमी जब भी अपने बेटे को काम या मेहनत करने के लिए कहता तो उसका बेटा उसे कहता की पापा हम गरीब नहीं अमीर है और काम और मेहनत गरीब लोग करते है और मुझे गरीबों से नफरत है

 

अमीर आदमी अपने बेटे को समझाने की बहुत कोशिश करता और अपने बेटे को कहता की गरीब आदमी ही मेहनत करके अमीर आदमी बनता है और गरीब अमीर कुछ नहीं होता है और जंहा तक खुशियों की बात है ईश्वर ने गरीब को ज्यादा खुशियाँ दी है उसे ज्यादा मजबूत बनाया है लेकिन उसका बेटा अपने पिता की इन बातों को मानने के लिए तेयार ही नहीं था

 

इसलिए अमीर आदमी ने अपने बेटे को यह सब सिखाने के लिए और उसका भविष्य बचाने के लिए उसे एक गाँव में लेकर गया ताकि वह गरीबों का जीवन भी देख सके ।

 

अमीर आदमी अपने बेटे को पहले एक ऐसे गरीब परिवार के पास ले गया जो बिना रोशनीपानी या वॉशरूम के एक छोटे से घर में रहता था।

 

अमीर आदमी के बेटे ने गरीब परिवार से पूछा "आप ऐसी परिस्थितियों में कैसे रह सकते हैं ?"

 

गरीब और अमीर की कहानी

 

उस गरीब परिवार ने कहा "हमारे पास पैसा नहीं है लेकिन हम अमीर हैं क्योंकि हमारे पास भगवान का आशीर्वाद है"

 

उसके बाद अमीर आदमी अपने बेटे को गाँव की नदी दिखाने के लिए लेकर गया। अमीर आदमी के लड़के ने देखा की उसे अपने घर में पीने के लिए साफ पानी और नहाने और तैरने के लिए 24 घंटे नल का साफ़ पानी मिलता है और यंहा लोग अपनी सफाईधुलाई और पीने का पानी आदि सभी कामों के लिए एक नदी से ही काम चलाते है।

 

थोड़ी ही देर में रात हो गई और वे रात बिताने के लिए एक छोटे से घर में पहुंचे। लड़का बिना बिस्तर और पंखे के सो नहीं सकता था

 

अमीर आदमी और उसका लड़का बाहर से आने वाली अजीब आवाज़ों से परेशान थे। लड़के ने उठ कर शोर को सुना तो उसने पाया कि लड़कों का एक समूह खुशी से आग के चारों और खेल रहा है। अमीर आदमी का बेटा उनको देखकर बहुत मोहित हुआ। उसने सोचा की उसके पास दुनिया का हर खिलौना है लेकिन उन लड़कों के पास जो ख़ुशी और आनंद है वो उसके पास नहीं है ।

 

अगले दिनअमीर आदमी और उसके बेटे को तेज भूख लग रही थी इसलिए अमीर आदमी अपने बेटे को दोपहर के भोजन के लिए एक गरीब किसान के घर ले गया। उसके घर पर खाने के लिए बहुत कुछ नहीं था। किसान ने उन्हें प्याज के साथ रोटी का भोजन परोसा।

 

अमीर आदमी अपने बेटे को देख रहा था क्योंकि उसका बेटा प्याज और रोटी को बड़े चाव से खा रहा था उसे प्याज और रोटी बहुत ही स्वादिष्ट लग रहे थे

 

गरीब और अमीर की कहानी

 

अमीर आदमी अपने बेटे के कान में फुसफुसाया, “तुम इसे कैसे खा सकते हो ? तुम तो चांदी की प्लेट में फास्टफूड और कई तरह के व्यंजन खाते हो

 

इस पर अमीर आदमी के बेटे ने अपने पिता से कहा की पिता जी में अब जान चूका हूँ की खाने का असली स्वाद और रात को एक अच्छी नींद हमेशा मेहनत करने के बाद ही मिलती है हमारे पास आलिशान घर, स्विमिंग पुल और ठंडी हवा के लिए ऐसी है लेकिन गरीब को ईश्वर ने पूरी नदी ही दे दी है बच्चों को खेलने के लिए बड़े बड़े खेत और जंगल दे दिए है जो उनको असली आनंद के साथ साथ मजबूत भी बनाते है उनके पास खाने के लिए थोडा है इसलिए उस थोड़े खाने में भी बहुत स्वाद और मजा है

 

गरीब और अमीर की कहानी

 

अमीर आदमी के चेहरे पर एक मुस्कान थी क्योंकि अब उसका बेटा असली खुशियों को और मेहनत के फायदे जान चूका था

 

अमीर आदमी ने अपने पुत्र से कहा की हमारे पास सब कुछ है और हम अभी भी शिकायत करते हैं। उनके पास कुछ नहीं है फिर भी वे बहुत खुश हैं।

 

 

गरीब और अमीर की कहानी हिन्दी साहित्य की एक प्रसिद्ध कहानी हैजो हमें समाज में सामाजिक न्याय और समर्पण के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

 

कहानी के मुख्य पात्र होते हैं:

 

गरीब व्यक्ति: यह व्यक्ति गरीब होता है और वह गरीबी में जीवन बिताता है। उसके पास संपत्ति और सुख की कमी होती है।

 

अमीर व्यक्ति: यह व्यक्ति धनी होता है और उसके पास धनसंपत्ति और सुख होता है।

 

कहानी का उद्देश्य यह दिखाना होता है कि अमीर व्यक्तियों को अपने समाज के गरीब अवशेषों की ओर समर्पित रहना चाहिए और सामाजिक न्याय का पालन करना चाहिए।

 

इस कहानी का एक प्रमुख प्रसंग होता हैजिसमें गरीब और अमीर व्यक्ति मिलते हैंऔर गरीब व्यक्ति की मदद करने के बादअमीर व्यक्ति समाज के लिए समर्पित रहते हैं। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि धन और संपत्ति के बावजूदसमाज की सेवा में लगने का महत्व होता है।

 

इस कहानी के रूप और पैटर्न विभिन्न हो सकते हैंलेकिन इसका संदेश हमें समाज में सहायतासामाजिक न्यायऔर आपसी सहयोग की महत्वपूर्णता की ओर इशारा करता है।

 


  14.लालची काले बंदर की कहानी

 


बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक काला बंदर रहता था। काला बंदर बहुत ही लालची था। एक दिन जब काला बंदर जंगल में मधुमखियों के छत्ते से शहद खाने के लिए एक पेड़ पर चढ़ रहा था ।

 अचानक काले बंदर की पूंछ में एक कांटा चुभ गया। बंदर ने अपनी पूरी ताकत से कांटे को अपनी पूंछ से निकालने की कोशिश की, लेकिन वो कांटे को निकल नहीं सका, अंत में उसने यह निश्चय किया की शहर जाकर वो इस कांटे को निकलवाकर आएगा ।

 

लालची काले बंदर की कहानी

 

काला बंदर शहर में एक नाई की दुकान पर गया और नाई से कहा की तुम मेरी पूंछ से ये कांटा निकाल दो, तुम्हे जितने पैसे चाहिए में दे दूंगा। यह सुनकर नाई बंदर की पूंछ से कांटा निकालने को तेयार हो गया ।

 

नाई ने कांटे को निकालने के लिए बहुत कोशिश की मगर कांटा नहीं निकल रहा था नाई ने अपने चाकू से भी प्रत्यन किया लेकिन अचानक नाई के हाथ से बंदर की पूंछ का आखिरी हिस्सा कट गया ।

 

लालची काला बंदर बहुत रोया और चिल्लाया और नाई से बोला की, तुमने मेरी पूंछ काट दी, अब तुम मुझे मेरी पूंछ दो या तुम्हारा चाकू मुझे दे दो ।

 

नाई ने कहा की तुम्हे पूंछ तो नहीं दे सकता हूँ इसलिए तुम मेरा चाकू रख लो, बंदर नाई का चाकू लेकर चला गया ।

 

बंदर ने रास्ते में एक बूढी औरत को लकड़ी काटते हुए देखा और उसके पास जाकर बोला की, अम्मा ये लो तुम मेरा चाकू ले लो इससे तुम लकड़ियाँ आसानी से काट सकती हो ।

 

बूढी औरत बहुत खुश हुई और बंदर का चाकू ले लिया और चाकू से लकड़ियाँ काटने लगी, जब बूढी औरत चाकू से लकडिया काट रही थी तो अचानक चाकू टूट गया। इस पर बंदर जोर जोर से रोने और चिल्लाने लगा ।

 

लालची काले बंदर की कहानी

 

बंदर ने बूढी औरत से कहा की, मुझे मेरा सही चाकू वापस करो या फिर तुम्हारी काटी हुई सारी लकड़ियाँ मुझे दे दो, बुढियां ने चाकू को ठीक करने की कोशिश की मगर टुटा हुआ चाकू सही नहीं हो पाया। इस पर आख़िरकार बुढिया ने अपनी मेहनत से काटी हुई सारी लकड़ियाँ काले बंदर को दे दी। काला बंदर लकड़ियाँ लेकर चला गया ।

 

लालची बंदर ने सोचा की सारी लकड़ियों को शहर में जाकर बेच देता हूँ और खूब सारे रुपये कमा लेता हु। यह सोच कर बंदर वापस शहर की और रवाना हो गया रास्ते में उसे एक औरत दिखाई दी, जो केक बना रही थी  

 

काले बंदर के मुंह में केक को देख कर पानी आ गया। बंदर उस औरत के पास जाकर बोला की, तुम्हारी लकड़ियाँ ख़त्म हो गयी है मेरी ये लकड़ियाँ जलाने के लिए ले लो और खूब सारे केक बना लो ।

 

औरत ने सोचा की बंदर उसका भला करना चाहता है यह सोच कर औरत ने बंदर से लकड़ियाँ ले ली और लकड़ियों से केक बनाने लग गयी। जेसे ही औरत ने आखिरी लकड़ी चूल्हे में डाली बंदर चिल्लाया और रोने लगा और औरत से कहने लगा की, तुमने मेरी सारी लकड़ियाँ जला दी मुझे मेरी लकड़ियाँ वापस करो या फिर तुम्हारे सारे केक मुझे दे दो ।

 

लालची काले बंदर की कहानी

 

लकड़ियाँ सारी जल चुकी थी। औरत के पास कोई रास्ता नहीं था तो उसने अपने सारे केक बंदर को दे दिए, बंदर केक लेकर चला गया ।

 

लालची काला बंदर बहुत ही खुश था क्योंकी उसके पास खूब सारे केक है और वह इनमे से कुछ को शहर में बेच कर पैसे कमा लेगा और कुछ को खा लेगा। यह सोचकर बंदर शहर में बाजार की और जाने लगा ।

 

रास्ते में एक कुत्ता बेठा था। उसने बंदर के पास खूब सारे केक देखे। कुत्ता बंदर के पास दौड़ कर आया और बंदर को मार कर उसके सारे केक खा लिए ।

 

शिक्षा :- लालच बुरी बला है ।

 

 

15.लाल मुर्गी की कहानी | Lal Murgi Ki Kahani

 


एक लाल मुर्गी एक बाड़े में रहती थी। लाल मुर्गी अपना लगभग सारा समय बाड़े के चारों ओर घूम कर कीड़े पकड़ने में लगाती थी ।

 लाल मुर्गी को कीड़े बहुत स्वादिष्ट लगते थे और वो कीड़ो से बहुत प्यार करती थी और लाल मुर्गी को लगता था की उसके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कीड़े बहुत जरूरी हैं। लाल मुर्गी को जितनी बार कीड़ा मिलतावह अपने चूजों को को बुलाकर उन्हें कीड़े खिलाती थी ।

 

बकरी, बिल्ली, चूहा और लाल मुर्गी की कहानी

 

उसी बाड़े में एक बिल्ली, एक बकरी और एक चूहा रहते थे, बिल्ली बहुत ही आलसी थी, बिल्ली दिन भर बाड़े के दरवाजे में आलस्य से झपकी लेती रहती थी हैयहां तक ​​​​कि चूहे जब उसको परेशान करते तो भी वह अपने आलस के कारण उनके पीछे भी नहीं जाती थी ।

 

खुद को परेशान करने के लिए इधर-उधर भागे चूहे को डराने के लिए खुद को परेशान नहीं करती है।

 

चूहे और बकरी भी बहुत ही आलसी थे और उनके पास भी दिनभर खाना खाने और पेट फुलाकर पड़े रहने के अलावा कोई काम नहीं था। यंहा तक के उनके मालिक को खाना भी उनके मुंह के आगे रखना पड़ता था ।

 

एक दिन लाल मुर्गी को एक बीज मिला। यह एक गेहूं का बीज थालेकिन लाल मुर्गी कीड़ों की इतनी आदी थी कि उसे लगा कि यह कुछ नया और शायद बहुत स्वादिष्ट प्रकार का मांस है। उसने उसे धीरे से काटा और पाया कि यह स्वाद में एक कीड़े जैसा नहीं था।

 

लाल मुर्गी ने इसे लेकर काफी पूछताछ की, कि यह क्या हो सकता है। अंततः उसने पाया कि यह एक गेहूँ का बीज है और यदि इसे बोया जाए तो यह बड़ा हो जाता है और जब यह पक जाता है तो इसे आटा और फिर रोटी बनाई जा सकती है।

 

लाल मुर्गी गेंहू के बीज को उगाना चाहती थी लेकिन उसके पास अपने खूब सारे बच्चो को कीड़े पकड़कर खिलाने के अतिरिक्त समय नहीं था।

 

इसलिए लाल मुर्गी ने सोचा की बकरी बिल्ली और चूहा कोई काम नहीं करते है उनके पास खूब सारा समय है इसलिए लाल मुर्गी ने जोर से पुकारा ।

 

"बीज कौन लगाएगा ?"

 

लेकिन बकरी ने कहा, "मैं नहीं," और बिल्ली ने कहा, "मैं नहीं," और चूहे ने कहा, "मैं नहीं।"

 

"ठीक हैतो," लाल मुर्गी ने कहा, "मैं बीज लगाउंगी ।"

 

और लाल मुर्गी ने बीज बो दिया ।

 

फिर वह लंबे गर्मी के दिनों में अपने दैनिक कर्तव्यों को करने लगीऔर अपने चूजों को खिलाने के लिए कीड़े खोजने लगीजबकि बकरी, बिल्ली और चूहा खा खाकर मोटे हो गयेऔर समय के साथ साथ गेहूं उग कर बड़ा पौधा बन गया और फसल के लिए तैयार हो गया।

 

एक दिन लाल मुर्गी ने देखा कि गेहूं कितना बड़ा था और अनाज पका हुआ थाइसलिए वह तेजी से पुकारने के लिए दौड़ी: "गेहूं कौन काटेगा?"

 

बकरी ने कहा, "मैं नहीं," बिल्ली ने कहा, "मैं नहीं," और चूहे ने कहा, "मैं नहीं।"

 

"ठीक हैतो," लाल मुर्गी ने कहा, "मैं ही काटूँगी।"

 

और लाल मुर्गी ने खलिहान में किसान के औजारों में से दरांती निकाली और गेहूं के बड़े पौधे को काटने के लिए आगे बढ़ी और गेंहू काट लिया ।

 

लाल मुर्गी के बच्चे बहुत परेशान थे क्योंकि उनकी माँ उनके लिए कीड़े नहीं पकड रही थी और ना ही लाल मुर्गी के पास उनके लिए समय था ।

 

बकरी, बिल्ली, चूहा और लाल मुर्गी की कहानी

 

बेचारी लाल मुर्गी ! वह काफी परेशान थी और महसूस कर रही थी की उसका ध्यान अपने बच्चों के प्रति उसके कर्तव्य और गेहूँ के प्रति उसके कर्तव्य के बीच विभाजित था।

 

फिर लाल मुर्गी ने सोचा की अब तो गेंहू कट चूका है इसकी कुटाई कर आता तो अब कोई भी बना लेगा और उसने पूरी आशा के साथ आवाज लगाई की, "गेहूं को कौन कूटेगा?"

 

लेकिन बकरी ने कहा, "मैं नहीं," और बिल्ली ने म्याऊ के साथ कहा, "मैं नहीं," और चूहे ने चीख़ के साथ कहा, "मैं नहीं।"

 

लाल मुर्गी ने निराश होकर कहा, "ठीक हैमैं ही गेंहू कुटुगी।"

 

लाल मुर्गी ने पहले अपने बच्चों को खाना खिलाया और जब उसने उन सभी को दोपहर की झपकी के लिए सुलाया तो वह बाहर गई और गेहूं की कुटाई की। फिर उसने पुकार कर कहा, "गेहूं को चक्की में पीसने के लिये कौन ले जाएगा?"

 

बकरी ने कहा, "मैं नहीं," और उस बिल्ली ने कहा, "मैं नहीं," और उस चूहे ने कहा, "मैं नहीं।"

 

लाल मुर्गी कुछ नहीं कर सकती थी उसने कहा ठीक है "मैं ही इस चक्की पर पिसने के लिए ले जांउगी।"

 

वह गेहूँ की बोरी उठाकर दूर की चक्की में चली गई। वहाँ उसने गेहूँ को सुंदर सफेद आटे में पिसने के लिए कहा। जब चक्की वाला उसके लिए आटा लेकर आया तो वह आटे को लेकर धीरे-धीरे अपने बाड़े में वापस आ गई।

 

लाल मुर्गी बहुत थक चुकी थी लेकिन फिर भी उसने पहले अपने बच्चों के लिए कीड़े पकडे और उन्हें कीड़े खिलाकर थोड़ी देर सो गयी ।

 

जैसे ही उसकी नींद से आँख खुलीउसके मन में यह विचार आया कि आज गेहूँ के आटे से किसी तरह रोटी बना लेनी चाहिए।

 

बकरी, बिल्ली, चूहा और लाल मुर्गी की कहानी

 

लेकिन उसने सोचा की उसे रोटी तो बनानी नहीं आती है इसलिए लाल मुर्गी जोर से चिल्लाई और पुकारा, "रोटी कौन बनाएगा?"

 

लाल मुर्गी की एक बार फिर उम्मीदें धराशायी हो गईं! बकरी ने कहा, "मैं नहीं," बिल्ली ने कहा, "मैं नहीं," और चूहे ने कहा, "मैं नहीं।"

 

तो लाल मुर्गी ने एक बार फिर कहा, "फिर मैं ही रोटी बनाउंगी,"

 

लाल मुर्गी ने सोचा के उसे कोशिश करनी चाहिए तो उसने आटा गूंथ लियारोटी बेलीऔर रोटियों को सेंकने के लिए ओवन में रख दिया। उस समय बकरी, बिल्ली और चूहा आलसी होकर बैठी रहे और लाल मुर्गी पर हँसते रहे।

 

अब रोटियां बन चुकी थी रोटियों की खुशबु हवा में आ रही थी । लाल मुर्गी नहीं जानती थी कि रोटी खाने लायक होगी या नहीं लेकिन जब छोटी छोटी प्यारी भूरी रोटियां ओवन से निकलीं तो वह बहुत खुश थी ।

 

रोटियों की खुशबु पुरे बाड़े में फेल रही थी बकरी बिल्ली और चूहे को भी रोटी की खुशबु आ रही थी और अब उनका मन रोटी को खाने का हो रहा था ।

 

फिरशायद इसलिए कि उसे आदत हो गई थीलाल मुर्गी ने पुकारा: "रोटी कौन खाएगा?"

 

बाड़े के सभी जानवर लाल मुर्गी को देख रहे थे और उनके मुंह में पानी आ रहा था और बकरी ने कहा, "मैं खाऊँगी," बिल्ली ने कहा, "मैं खाऊँगी," चूहे ने कहा, "मैं खाऊँगा।"

 

लेकिन छोटी लाल मुर्गी ने कहा,

 

"नहींआप नहीं खाओगे । मैं खाऊँगी ।"

 

और लाल मुर्गी और उसके बच्चो ने मिलकर रोटी को बड़े मजे से खाया, बकरी बिल्ली और चूहा सोच रहे थे की काश उन्होंने मुर्गी की मदद की होती तो उन्हें भी मजेदार स्वादिष्ट रोटी खाने को मिलती ।

 



 

16.राजकुमारी तितली की कहानी | Hindi kahaniya

 




राजकुमारी तितली की कहानी एक बहुत ही प्रेरणादायक लघुकथा जो आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनमोल जीवन का पाठ पढ़ाती है और यह तितली की कहानी सफल होने के लिए जीवन में संघर्ष के महत्व को भी बताती है।

 

राजकुमारी तितली की कहानी | Hindi kahaniya

 

एक सुबह एक आदमी को एक बगीचे में एक तितली का रेशमी कोकून मिला। वह यह देखने के लिए बहुत उत्सुक था कि उस कोकून का क्या होगा।

 

अगले दिन उस आदमी ने पाया कि कोकून में एक छोटा सा छेद दिखाई दे रहा है। वह बड़ी उत्सुकता से वहीं बैठा रहा और कई घंटों तक यह देखने लगा कि तितली के कोकून में आगे क्या होता है।

 

राजकुमारी तितली अपने पूरे शरीर को उस छोटे से छेद से निकालने के लिए संघर्ष कर रही थी। तभी अचानक मनुष्य ने पाया कि तितली ने हिलना बंद कर दिया और कोकून से बाहर नहीं आ पा रही है ।

 

इसलिए दयालु व्यक्ति ने उस मासूम तितली पर दया की और उसकी मदद करने लगा। उसने कैंची से कोकून काटकर तितली को एक छोटे से छेद से बाहर निकालने का प्रयास किया।

 


नन्ही राजकुमारी तितली आसानी से बाहर आ गयी क्योंकि उस आदमी ने उसकी मदद कीलेकिन तितली के पंख सूजे हुए थे और शरीर के साथ मुरझा गए थे। वह आदमी बहुत खुश हुआ क्योंकि उसने कोकून के छोटे से छेद से तितली को बाहर आने में मदद की। वह आदमी देखता रहा।

 

राजकुमारी तितली की कहानी | Hindi kahaniya

 

वह आदमी उम्मीद कर रहा था कि किसी भी क्षण तितली के पंख बड़े होने लगेंगे और वह उड़ने लगेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ !

 

दरअसलखूबसूरत और मासूम तितली अपने खूबसूरत पंखों से उड़ नहीं पाई।

 

वह आदमी बहुत दयालु था लेकिन उसे समझ नहीं आया कि कोकून के छेद को काट कर बड़ा करके वह वास्तव में तितली के पूरे जीवन चक्र को बाधित कर रहा है क्योंकि कोकून से बाहर आने के लिए संघर्ष करना तितली के जीवन के लिए आवश्यक था।

 

यह प्रगति की एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी लेकिन आदमी ने पूरी प्रक्रिया को बाधित कर दिया इस प्रकार दयालु आदमी की मूर्खता के कारण थोड़े समय बाद ही उस सुंदर राजकुमारी तितली की मृत्यु हो गई।

 

राजकुमारी तितली की कहानी का नैतिक पाठ :यह सुंदर Hindi Kahani जीवन में संघर्ष के महत्व को दर्शाती है। संघर्ष ही हमें मजबूत बनाता है। भविष्य के अवसरों के लिए खुद को तैयार करने के लिए जीवन के लिए संघर्ष आवश्यक है।

 

तोअगली बार जब आपको लगे कि आपका जीवन संघर्षोंसमस्याओं और बाधाओं से गुजर रहा हैतो इस प्रेरक लघु कहानी को याद करने की कोशिश करें ताकि सच्चाई को समझा जा सके कि संघर्ष कुछ अच्छा और विशेष हासिल करने की शुरुआत है।

 


 

17.जादुई पेंसिल की कहानी | Hindi Kahaniya

 


एक बार की बात है एक नौ साल का सोनू नाम का लड़का था। एक सुबह सोनू ने चाहा कि उसे स्कूल न जाना पड़े क्योंकि उस दिन स्कूल में उसकी एक परीक्षा थी जिसके लिए उसने पढाई नहीं की थी। क्योंकि वह अपने मोबाइल पर माइनक्राफ्ट खेलने में बहुत व्यस्त था। सोनू मोबाइल पर गेम खेलने में ही अपना सारा समय बर्बाद करता था।

 कुछ दिन पहले उसके मम्मी और पापा ने उससे कहा था कि अगर परीक्षा में उसके खराब नंबर आए तो उसे वापस बोर्डिंग स्कूल जाना होगा।

 

जादुई पेंसिल की कहानी | Hindi Kahaniya

 

सोनू को बोर्डिंग स्कूल पसंद नहीं था क्योंकि पिछली बार जब वह गया था तो दुसरे लड़कों ने उसे झील में कूदाने की कोशिश की थी । टीचर ने उसे पकड़ लिया और सोनू बहुत मुश्किल से बच पाया था। सोनू वास्तव में बोर्डिंग स्कूल वापस नहीं जाना चाहता था।

 

आज जब स्कूल जाने का समय हुआतो सोनू ने घर पर ही रहने की गुहार लगाई लेकिन उसकी माँ ने कहा "नहीं"! और उसकी माँ ने उसे स्कूल छोड़ दिया और उसे एक नई पेंसिल दी और उसके टेस्ट के लिए शुभकामनाएं दीं। सोनू जैसे ही अपने क्लास रूम में पहुंचाटीचर ने कहा कि टेस्ट लंच के बाद होगा। 

 

जादुई पेंसिल की कहानी | Hindi Kahaniya

 

दोपहर के भोजन के समय सोनू ने वास्तव में बहुत कठिन पढाई कीइतना कठिन कि वह खाना खाना भी भूल गया। दोपहर के भोजन के बाद सोनू वास्तव में भूखा थावह केवल भोजन के बारे में सोच रहा था। जैसे ही सोनू अपनी मेज पर बैठाउसने खुद से कहा "काश मेरी पेंसिल मेरे लिए सब कुछ लिख देती और सभी उत्तर सही हो जाते"।

 

जब उसको टेस्ट पेपर मिला तो कुछ जादुई हुआ! उसकी पेंसिल ने उसके लिए जवाब लिखना शुरू कर दिया ! सोनू चकित था ... और उसे बहुत राहत मिली। जब सोनू को उसका टेस्ट पेपर वापस मिला तो उसने देखा कि उसे 100% मिला है तो उसने हर परीक्षा के लिए अपनी जादुई पेंसिल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

 

कुछ हफ़्तों के बाद सोनू की जादुई पेंसिल लिखने के लिए बहुत छोटी हो गयी थी ! सोनू के टीचर ने उससे कहा कि इसे फेंक दो और एक नया ले आओ। सोनू इसे फेंकना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि यह जादुई पेंसिल है लेकिन उसने वही किया जो टीचर ने कहा था।

 

 

जादुई पेंसिल की कहानी | Hindi Kahaniya

 

जब सोनू घर आया तो उसने अपनी मां से एक नई पेंसिल मांगी लेकिन सोनू की मम्मी ने कहा की उसके पास पेंसिल समाप्त हो चुकी है क्योंकि साल लगभग ख़त्म हो चूका था। अगले दिन सोनू का रिपोर्ट कार्ड मेल में आया। सोनू ने अपने सभी विषयों में वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया और उसके माता-पिता को वास्तव में उस पर गर्व था।

 

बाद में उस शाम सोनू के पिता ने उसे एक उपहार दियासोनू ने उसे खोला और वह एक नया चमकदार पेन था। सोनू को उम्मीद थी कि यह भी एक जादुई पेन होगा ।

 

 


18.जादुई चक्की का कमाल | jadui chakki Ka Kamal | Hindi Kahaniya

 


एक बार एक गाँव था, उस गाँव में एक गरीब लड़का रहता था, उस गरीब लड़के के माता पिता उसके बचपन में ही गुजर गये थे, उस लड़के ने अपनी माता के मरने से पहले अपनी माता से कहा की, पिता जी पहले ही हमे छोड़कर जा चुके है और अब आप भी मुझे अकेला छोड़कर जा रही हो आपके मरने के बाद मेरा क्या होगा, मुझे कौन खाना खिलायेगा, कौन मेरा ध्यान रखेगा ।

 तब उसकी माता ने कहा बेटा इस दुनिया में जिसका कोई नहीं होता उसका ध्यान भगवान रखते है तू तो बस भगवान को याद किया कर भगवान तेरी मदद करेंगे यह कहते हुए उस लड़के की माता के भी प्राण निकल गये थे।

 

अपनी माता के मरने के बाद वह लड़का दिन रात भगवान को याद करता और उनसे मदद मांगता, ऐसे ही दो दिन निकल गये लड़का भूख से बेहोश हो गया उसके कुछ देर बाद वंहा एक बूढी औरत आई और उस लड़के को हिलाया और उसके मुंह पर पानी डालकर उसे होश में लेकर आई ।

 


जादुई चक्की का कमाल | jadui chakki Ka Kamal | Hindi Kahaniya


 

लड़के ने आँखे खोली और देखा की उसके पास एक बूढी औरत बेठी है बूढी औरत ने अपने थेले में से खूब सारा स्वादिष्ट भोजन निकाला और उस लड़के को दिया ।

 

लड़का दो दिन से भूखा था उसने पेट भर खाना खाया उसके बाद उसने उस बूढी औरत से पूछा की आप कौन है तब उस बूढी औरत ने कहा की तुम भगवान को बहुत याद करते हो इस लिए मुझे भगवान ने तुम्हारी मदद करने के लिए भेजा है ।

 

फिर उस लड़के ने उस बूढी औरत से पूछा की क्या तुम हमेशा मेरे साथ ही रहोगी तब उस बूढी औरत ने कहा की नहीं बेटा में हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी ।

 

तब उस लड़के ने कहा की फिर मुझे रोज रोज खाना कौन लाकर देगा तब उस बूढी औरत ने कहा बेटा में तुम्हारे लिए एक जादुई चक्की लेकर आई हूँ ।

 

इस जादुई चक्की से तुम जो भी मांगोगे वो सब कुछ यह जादुई चक्की तुम को दे देगी तुम इस जादुई चक्की का प्रयोग करना सीख लो तुम एक बार इस जादुई चक्की से कुछ मांगो इस पर उस लड़के ने जादुई चक्की से पानी माँगा लड़के के पानी मांगते ही जादुई चक्की से पानी निकलने लगा यह देख कर लड़का बहुत खुश हुआ ।

 

जादुई चक्की का कमाल | jadui chakki Ka Kamal | Hindi Kahaniya

 

लेकिन जादुई चक्की से पानी निकलता ही जा रहा था तब उस बूढी औरत ने कहा की अब जब तक तुम इस जादुई चक्की से पानी बंद करने का नहीं कहोगे तब तक इस जादुई चक्की से पानी निकलता रहेगा इस पर लड़के ने जादुई चक्की से पानी बंद करने के लिए कहा और पानी बंद हो गया यह देख कर लड़का बहुत खुश हुआ उसके बाद वो बूढी औरत वंहा से चली गयी।

 

लड़का जादुई चक्की को अपनी झोपडी में लेकर चला गया और जादुई चक्की से अपनी जरुरत के अनुसार खाना कपडे आदि मांग लेता था और दिन भर भगवान को याद करता था ।

 

ऐसे ही धीरे धीरे समय बीतता गया लड़का अब थोडा बड़ा हो गया था उसने यह निश्चय किया की अब से वह इस जादुई चक्की की मदद से गरीब लोगो की भी मदद करेगा और उसने गरीबो को खाना बाँटना शुरू कर दिया सब गरीब लोग उस लड़के को खूब आशीर्वाद देते थे ।

 

उसी गाँव में एक लालची व्यक्ति रहता था उसने सोचा की इस लड़के के पास कोई काम नहीं है फिर भी यह गरीबो में खाना बांटता है जरुर इसके हाथ कोई खजाना लगा है इस पर उस लालची व्यक्ति ने छुप कर उसकी जादुई चक्की का राज पता किया ।

 

जादुई चक्की का कमाल | jadui chakki Ka Kamal | Hindi Kahaniya

 

अब उस लालची व्यक्ति के मन में लालच आ चूका था क्योंकि उसने उस चक्की का जादू देख लिया था इसलिए उसने उस चक्की को चुराने का विचार बनाया और मौका पाकर उस चक्की को चुराने में सफल हो गया ।

 

लालची व्यक्ति उस चक्की को अपने घर ले गया और उसने सोचा की सबसे पहले इस जादुई चक्की से खूब सारा सोना निकाल लेता हूँ लेकिन कोई देख ना ले इस लिए उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और अन्दर से ताला लगा दिया उसके बाद उसने उस चक्की से कहा की मुझे खूब सारा सोना दे, इतने में चक्की से सोना निकलना शुरू हो गया यह देखकर लालची व्यक्ति बहुत खुश हुआ ।

 

लेकिन चक्की से सोना निकलता ही जा रहा था उसका पूरा कमरा सोने से भर गया अब उस लालची व्यक्ति के कमरे में रहने की जगह नहीं रही उसने कमरे से बाहर निकलने के लिए कमरे का ताला खोलने की कोशिश की लेकिन तब तक वह लालची व्यक्ति सोने में दब गया और मर गया ।

 

नेतिक शिक्षा :- लालच बुरी बला है


 


19.101+ पक्षियों की कहानियां | Pakshiyon Ki Kahani

 


 दो पक्षियों की कहानी | पक्षियों की कहानियां | Pakshiyon Ki Kahani

 

एक बार जंगल में एक चिड़िया और उसके दो नवजात शिशु रहते थे। एक ऊँचेछायादार पेड़ में उनका घोंसला था और वहाँ एक चिड़िया दिन-रात अपने नन्हे-मुन्नों की देखभाल करती थी।

 

एक दिन एक बड़ा तूफान आया। गरजबिजली और बारिश हुईऔर हवा ने कई पेड़ों को उड़ा दिया। वह लंबा पेड़ जिसमें पक्षी रहते थे वह भी नीचे गिर गया। एक बड़ीभारी शाखा ने घोंसले से टकराकर पक्षी को मार डाला।

 

सौभाग्य से पक्षियों के बच्चों को तेज हवा ने उन्हें जंगल के दूसरी तरफ उड़ा दिया। उनमें से एक उस गुफा के पास आ गिरा  जहाँ लुटेरों का झुण्ड रहता था। दूसरा कुछ ही दूर एक ऋषि के आश्रम के बाहर आ गिरा ।

 

 

पक्षियों की कहानियां | Pakshiyon Ki Kahani

 

दिन बीतते गए और चिड़िया के बच्चे बड़े पक्षी बन गए। एक दिन देश का राजा शिकार करने जंगल में आया। एक हिरण को देखा और उसका पीछा करना शुरू कर दिया । राजा हिरण के पीछे पीछे गहरे जंगल में चला गया।

 

जल्द ही राजा अपना रास्ता भटक गया और उसे नहीं पता था कि वह कहाँ है। वह बहुत देर तक सवारी करता रहा जब तक कि वह जंगल के दूसरी तरफ नहीं आ गया। अब तक राजा बहुत थक गया थावह अपने घोड़े से उतर गया और एक गुफा के पास एक पेड़ के नीचे बैठ गया।

 

अचानक उसने एक आवाज सुनी, "जल्दी करो ! जल्दी करो ! पेड़ के नीचे कोई है। आओ और उसके गहने और उसके घोड़े को ले लो। जल्दी करोनहीं तो भाग जाएगा।"

 

राजा चकित रह गया। उसने ऊपर देखा, जिस पेड़ के नीचे वह बैठा थाउस पर एक बड़ा भूरा पक्षी बेठा था । राजा ने गुफा से हल्की आवाजें भी सुनीं। वह जल्दी से अपने घोड़े पर चढ़ गया और जितनी जल्दी हो सके भाग गया।

 

पक्षियों की कहानियां | Pakshiyon Ki Kahani

 

जल्द हीराजा एक कुटिया के पास पहुंचा जो एक आश्रम जैसा लग रहा था। यह ऋषि का आश्रम था। राजा ने अपने घोड़े को एक पेड़ से बांध दिया और उसकी छाया में बैठ गया।

 

अचानक राजा ने एक कोमल आवाज सुनी, "आश्रम में आपका स्वागत हैश्रीमान। कृपया अंदर जाओ और आराम करो। ऋषि जल्द ही वापस आएंगे। बर्तन में कुछ ठंडा पानी है। कृपया आप ठण्डा पानी पिए।"

 

राजा ने पेड़ पर देखा वंहा एक एक बड़ा भूरा पक्षी बेठा था । वह चकित था। राजा ने सोचा की यह पक्षी तो गुफा के बाहर पेड़ पर बेठे पक्षी की तरह दिखता है 

 

पक्षियों की कहानियां | Pakshiyon Ki Kahani

 

पक्षी ने उत्तर दिया। "आप सही कह रहे हैंश्रीमान,"  

 

वह मेरा भाई हैलेकिन उसने लुटेरों से दोस्ती कर ली है। वह अब उनकी तरह बात करता है। वह अब मुझसे बात नहीं करता है।" तभी ऋषि ने आश्रम में प्रवेश किया।

 

ऋषि ने राजा से कहा। "स्वागत हैश्रीमान,"

 

कृपया अंदर आएं और स्वय को थोडा आराम दे । आप थके हुए लग रहे हो। थोड़ी देर आराम करो। और आप मेरे साथ  भोजन कर सकते हो।

 

राजा ने ऋषि को दोनो पक्षियों की कहानी सुनाई और बताया कि कैसे वे एक जैसे दिखते हुए भी अलग-अलग व्यवहार करते थे।

 

ऋषि ने कहा, "जंगल आश्चर्य से भरा है",

 

ऋषि मुस्कुराया और कहा, "आखिरकारजो जेसी संगती रखता है उससे जाना जाता है। उस पक्षी ने हमेशा लुटेरों की बात सुनी है। वह उनकी नकल करता है और लोगों को लूटने की बात करता है। इसने वही दोहराया है जो इस ने हमेशा सुना है। वह आश्रम में लोगों का स्वागत करता है। अबअंदर आओ और आराम करो। मैं आपको इस जगह और इन पक्षियों के बारे में और बताऊंगा।"

 

नेतिक शिक्षा :- हमे हमेशा अच्छी संगती में रहना चाहिए

 

 


 

20.चंदामामा की कहानियां | Chandamama Ki Kahaniyan | Hindi Kahaniya

 


बहुत समय पहले की बात है एक रात को तारे चंदामामा के पास गए और बोले, "क्या आप बता सकते हैं कि आप और हम में से कौन अधिक चमकता है ?

 चंदामामा ने घमंड में कहा, "जाहिर सी बात है मैं ही ज्यादा चमकता हूँ"

 

सितारे मुस्कुराने लगे और बोले, “अरे नहीं ! तुम नहींहम ज्यादा चमकते है "।

 

चंदामामा ने कहा, "नहींमैं ज्यादा चमकता हूं"।

 

सितारों ने कहा, "ठीक हैचलो किसी से पूछ लेते है उन्हें एक घर की खिड़की पर कुछ बच्चे दिखाई दिए, उन्होंने तय किया की उन बच्चों से पूछ लेते हैं।

 

चंदामामा की कहानियां | Chandamama Ki Kahaniyan

 

चंदामामा और तारे खिड़की के पास गए और बच्चों से कहा कि हमें बताओ कि हम दोनों में से कौन ज्यादा चमकता है।

 

बच्चों ने कहा, "चंदामामा ज्यादा चमकते है"।

 

तभी अचानक एक बड़ा बादल चंदामामा के सामने आ गया और चंदामामा की चमक कम हो गयी तो बच्चों ने कहा तारे ज्यादा चमकते है ।

 

कुछ ही देर में जब बादल गायब हो गए तो उन्होंने फिर से कहा "चंदामामा ज्यादा चमकता है"।

 

खूब सारी अच्छी अच्छी कहानियां और गेम्स- 

 

चंदामामा की कहानियां | Chandamama Ki Kahaniyan

 

तब चंदामामा और तारे ने कहाचलो किसी और के पास चलते हैं ये बच्चे तो कभी कुछ कह रहे है और कभी कुछ ।

 

चंदामामा और तारे एक दुसरे घर की खिड़की पर गए और एक बूढ़े व्यक्ति को देखा। उन्होंने उसे यह बताने के लिए कहा कि उन दोनों में से कौन अधिक चमकीला है।

 

बूढ़े ने कहा, "मेरे लिए यह बताना बहुत मुश्किल है क्योंकि मैं बहुत बूढ़ा हूं इसलिए मैं कुछ भी साफ़ और अच्छे से नहीं देख सकता। तोकृपया मुझे खेद है कि मैं आपकी मदद नहीं कर सकता"।

 

फिर चंदामामा और तारे एक दुसरे घर की खिड़की पर गए, जहाँ उन्होंने देखा कि एक माँ अपने बच्चे को सुलाने के लिए गाना गा रही है। चंदामामा और सितारों ने उस औरत से कहा कि बताओ हमारे बीच कौन अधिक चमकीला है। उस औरत ने जवाब दिया कि, मेरे बच्चे का चेहरा तुम दोनों से ज्यादा चमकीला है। यह सुनकर चंदामामा और तारे निराश होकर पृथ्वी से पूछने के लिए गये

 

फिर चंदामामा और तारे पृथ्वी के पास पहुंचे। चंदामामा बहुत प्रसन्न हुआउसे लगा कि धरती माता उस पर कृपा करेगी।

 

 

चंदामामा की कहानियां | Chandamama Ki Kahaniyan

 

चंदामामा और तारे के पूछने पर पृथ्वी ने उत्तर दिया, "यह सच है कि चंदामामा रात में चमकता है और इसकी रोशनी फलोंसब्जियों और हरे पौधों के लिए बहुत उपयोगी है। लेकिन मेरे बेटे चंद्रमा ! अभिमान और घमंड मत करो।

 

बेटा याद रखो, यह प्रकाश आपका स्वय का नहीं हैआप इसे सूर्य से प्राप्त कर रहे हैं। तो उस चमक पर गर्व मत करो जो तुम्हारी नहीं है

 

पृथ्वी ने तारों से कहा, "चमकते हुए छोटे सितारे वास्तव में इतने छोटे नहीं हैं। वे सूर्य के मित्र हैं क्योंकि सूर्य स्वयं भी एक तारा है। अज्ञानी मत बनोअगर कुछ तारे एक साथ आते हैं तो उनकी गर्मी और रोशनी हमारे लिए असहनीय होगी। तारों का टिमटिमाना भी रात को सुंदरता प्रदान करता है। इसलिए आपस में मत लड़ो।"

 

चंदामामा और तारे अब सब कुछ समझ चुके थे और उन्होंने संतुष्ट महसूस किया और पृथ्वी को धन्यवाद दिया।

 

 

 

 

21.सफल बिजनेस मैन की कहानी | संघर्ष से सफलता

 


दोस्तों आज हम पढेंगे की संघर्ष से सफलता केसे प्राप्त होती है और कैसे आम आदमी सफल बिजनेस मैन बने, दोस्तों हिन्दी कहानियों की इस श्रंखला में आपको ऐसी सच्ची ज्ञानवर्धक प्रेरणादायक कहानियां हमेशा मिलती रहेगी, तो चलिए बिना देर किये जानते है ।

 

1.रजत जैन और मोहित जैन सफल बिजनेस मैन की कहानी

दोस्तों जब दो भाइयों 34 वर्षीय रजत जैन और 31 वर्षीय मोहित जैन ने 2013 में किमिरिका को लॉन्च कियातो वे 100 वर्ग फुट के एक छोटे से कमरे में काम करते थे। दोनों पर कर्ज भी था और उनके पास रुपये भी नहीं थे और उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था ।

 

लेकिन उन्होंने देखा था कि अंतरराष्ट्रीय होटल ब्रांडों के लिए 70 प्रतिशत से अधिक सुविधा उत्पादों और प्रसाधनों का आयात किया जाता है तो उन्होंने तय किया की वे इन उत्पादों को स्थानीय स्तर पर बना सकते हैं और उन्हें होटलों को बेच सकते हैं।

 

उनके दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प ने उनकी कम्पनी किमिरिका को कई बाधाओं को दूर करने में मदद की और लक्जरी होटल टॉयलेटरीज़ और गेस्ट रूम सुविधाओं का भारत का सबसे बड़ा निर्माता बनने में मदद की।

 

किमिरिका हंटर अब 300 करोड़ रुपये की कंपनी है और मैरियटस्टारवुडहिल्टनजुमेराहहयातआदि जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय होटल श्रृंखलाओं को अपनी सेवाए देती है।

 

2.उमर अख्तर सफल बिजनेस मैन की कहानी

दोस्तों उमर अख्तर सिर्फ 16 साल के थे जब उनके पिता सैफुल्ला अख्तर बेंगलुरु के एक साड़ी वितरक थे। हैदराबाद में सैफुल्ला अख्तर के खुदरा विक्रेताओं ने दुकाने बंद कर दी और सैफुल्ला का लगभग 8 लाख रुपये का भुगतान अटक गया।

 

एक दिन उन्होंने सुना कि कोलार का एक छोटा व्यवसायी अपनी छोटी सी दुकान को थोड़े से दाम पर बेच रहा है तो सैफुल्ला अख्तर ने करीबी दोस्तों और परिवार की मदद से दुकान को किराए पर लेने के लिए शुरुआती जमा राशि इकट्ठी करने में कामयाबी हासिल की।

 

इसी दौरान उमर ग्यारहवीं कक्षा में था तो सैफुल्ला अख्तर को उमर की शिक्षा रोकनी पड़ीऔर उमर को कोलार में दुकान सँभालने के लिए भेजना पड़ा।

 

उमर ने इसे चुनौती की तरह लिया और रात दिन कड़ी मेहनत से अपनी फर्म कोस्की का निर्माण किया और 35 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया । आज इनकी फर्म लहंगे, साड़ीकपड़ेगाउन और बहुत कुछ बेचती है।

 

3.अशोक राजपाल सफल बिजनेस मैन की कहानी

 

दोस्तों 2001 में जब 39 वर्षीय अशोक राजपाल 11 वर्षों से कपड़ा व्यवसाय में थेउन्होंने पेरिफेरल मोबाइल डिवाइस का काम करने का फैसला कियाहालांकि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

 

अशोक राजपाल ने भाग्य को अपने भाई के साथ मिलकर नेहरू प्लेस नई दिल्ली में एक छोटी मोबाइल एक्सेसरीज़ के खुदरा विक्रेता के रूप में अपनी यात्रा शुरू की।

 

उनके व्यवसाय का नाम एम्ब्रेन था और उन्होंने स्नैपडीलफ्लिपकार्ट और शॉपक्लूज सहित विभिन्न ईकॉमर्स पोर्टलों के माध्यम से पावरबैंक बेचना शुरू किया।

 

तीन से चार दिनों के भीतर एम्ब्रेन के पावरबैंक बिक गएजिससे उद्यमी चकित रह गए। उस समय के बाद से अशोक राजपाल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अशोक ने एंब्रेन को 103 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले मोबाइल एक्सेसरीज ब्रांड के रूप में विकसित कियाजिसके अकेले पावरबैंक श्रेणी में 10 मिलियन ग्राहक हैं।

 

 

4.चीनू काला सफल बिजनेस मैन की कहानी


 चीनू काला 15 साल की थी तब वह परिवारिक कारण के चलते मुंबई आ गई थी। उस वक़्त के सामने एक अंधकारमय और अनिश्चित भविष्य था।

 

लेकिन चीनू काला ने अपने आत्म विश्वास को कम नहीं होने दिया और कड़ी मेहनत की उन्होंने देखा की भारतीय आभूषण बाजार के इतने बड़े होने के बावजूद उपभोक्ताओं की मांगों को पूरा करने के लिए कोई यूनिक डिजाइन नहीं थे।

 

चीनू काला ने ब्यूटी पेजेंट और कॉरपोरेट मर्चेंडाइजिंग में अपनी किस्मत आजमाने के बाद 2014 में रूबंस एक्सेसरीज की स्थापना कीजिसमें कॉर्पोरेट मर्चेंडाइजिंग के साथ अपने अनुभव के साथ फैशन के प्रति अपने प्यार को जोड़ा।

 

रूबंस एक्सेसरीज की शुरुआत फीनिक्स मॉल बेंगलुरु में 70 वर्ग फुट की दुकान में 3 लाख रुपये की पूंजी के साथ की गई थी। पांच साल की अवधि में चीनू काला ने कारोबार को 7.5 करोड़ रुपये के ब्रांड में बढ़ा दिया।

 

रूबंस एक्सेसरीज की मुंबई में अपनी निर्माण इकाई है और कंगनझुमकेहारमाथा पट्टीमांग टिक्काअंगूठियां और पोशाक और चांदी के आभूषणों का व्यापार करती है।

 

5.ज़हीर गाबाजीवाला सफल बिजनेस मैन की कहानी

 80 के दशक के उत्तरार्ध में ज़हीर गाबाजीवाला एक छोटेपरित्यक्त लिफ्ट शाफ्ट में एक खिलौना कार्यशाला चला रहे थे। उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वह किसी मॉल या बाज़ार में नियमित रूप से काम करने की जगह किराए पर ले सके।

 

कच्चे माल के लिए उन्हें लोगों को उनका माल उधार बेचने के लिए राजी करना पड़ा। यह निश्चित रूप से एक निराशाजनक स्थिति थीलेकिन गाबाजीवाला ने हार नहीं मानी।

 

उन्हें उनके पिता के आकस्मिक निधन के बाद एक मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ा। उन्हें कॉलेज छोड़ने और अपने भाई के साथ जुड़ने और पारिवारिक व्यवसाय चलाने के लिए मजबूर किया गया था। उनके भाई के साथ उनकी पहली वर्कशॉप मुंबई के भायखला में 25 वर्ग फुट की एक छोटी सी जगह में थी ।

 

ज़हीर गाबाजीवाला की कड़ी मेहनतपसीने और अपने संघर्ष को झेलते हुएज़हीर ने धीरे-धीरे अपनी कार्यशाला को 15 करोड़ रुपये के व्यवसाय में बदल दिया और उन्होंने अपनी फर्म में 100 लोगों को रोजगार भी दियाअब ज़हीर गाबाजीवाला की इस फर्म को ज़ेफिर टॉयमेकर्स के नाम से जाना जाता है। यह वर्तमान में भारत की सबसे बड़ी स्वदेशी खिलौना निर्माण कंपनियों में से एक है और प्रसिद्ध खिलौना ब्रांड मैकेनिक्स और ब्लिक्स बनाती है।

 

6.केशव नाथ कपूर सफल बिजनेस मैन की कहानी

 

केशव नाथ कपूर का कानपुर शहर के आभूषण बाजार में चमकने का सपना था ।

 

उनके पास व्यवसाय शुरू करने के लिए कोई धन नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के 200 ग्राम के आभूषणों को पिघलाकर काशी ज्वैलर्स के साथ अपने व्यसाय की यात्रा शुरू की।

 

उनके पोते श्रेयांश कपूर कहते हैं, “मेरे दादाजी ने पहली बार नचघरकानपुर (अब-बिरहाना रोड पर) में एक छोटी सी दुकान खोली और आभूषण के टॉप थ्री निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं में से एक बन गए।

 

इन वर्षों मेंपारिवारिक व्यवसाय में वृद्धि हुई और 11,000 वर्ग फुट में फैले एक फ्लैगशिप स्टोर और चार कारखानों को खोला गया जो व्यापक थोक नेटवर्क को पूरा करते हैं। कंपनी साल-दर-साल 30 फीसदी की ग्रोथ प्राप्त कर रही है।

 

7.कमल खुशलानी सफल बिजनेस मैन की कहानी

 

कमल खुशलानी की हमेशा से ही फैशन रिटेल बिजनेस में गहरी दिलचस्पी थी। हालांकिएक मध्यम वर्गीय पृष्ठभूमि से आने और 19 साल की उम्र में अपने पिता को खोने के कारणउनके पास एक ऐसा ब्रांड शुरू करने के लिए पैसे नहीं थेजो भारतीय पुरुषों के लिए प्रगतिशील फैशन की पेशकश करता हो।

 

अंत में अपने सपने पर निर्माण शुरू करने के लिएउन्होंने अपनी मौसी से 10,000 रुपये उधार लिए और अपनी उद्यमशीलता की यात्रा में शामिल हो गए। उन्होंने 1992 में 'मिस्टर एंड मिस्टरशर्ट कंपनी की शुरुआत कीएक छोटी सी वर्कशॉप से पुरुषों के लिए शर्ट का निर्माण और खुदरा बिक्री शुरू की ।

 

उन्होंने 1998 में मुफ्ती की शुरुआत कीजब वह अपनी बाइक पर किलो कपड़ा ले जाते थे और उसे कार्यशाला में छोड़ देते थे और फिर बिक्री के लिए तैयार उत्पादों को लेने के लिए वापस आते थे। सालों तक उन्होंने अपने व्यवसाय से अर्जित धन को पुनर्चक्रित करते हुए यह सब स्वयं किया।

 

और फिर 2000 के दशक में मुफ्ती ने प्रमुखता प्राप्त कीविशेष ब्रांड आउटलेट से लेकर मल्टी-ब्रांड आउटलेट और बड़े प्रारूप वाले स्टोर तक विस्तार किया। आज कंपनी के प्रत्यक्ष पेरोल पर 600 से अधिक कर्मचारी हैंअप्रत्यक्ष रूप से 2,000 से अधिक लोग कार्यरत हैंऔर पिछले साल 395 करोड़ रुपये का कारोबार किया।

 

8.मरियम मोहुइदीन सफल बिजनेस वुमैन की कहानी

 

जब 48 वर्षीय मरियम मोहुइदीन ने मंगलुरु में पश्चिमी व्यंजनों की मांग को देखा तो उन्हें लगा कि यह अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए अपने पाक कौशल का उपयोग करने का सही समय है।

 

दिसंबर 2014 में उन्होंने बेकर्स ट्रीट शुरू कीजो 200 वर्ग फुट की बेकरी हैजो घर का बना सामान बेचती है। वह कहती हैं, "चीजों ने खूबसूरती से उड़ान भरी और सब कुछ सही समय पर सही जगह पर हुआऔर तीन साल में ही एक शानदार कैफे बनाने में कामयाब हुई।"

 

2017 में मरियम ने लगभग 20 लाख रुपये का निवेश किया और बेकर्स ट्रीट को केककपकेकबर्गरपास्ता और शेक के लिए एक रेस्तरां में बदल दिया गया। इसे उन्होंने अपनी बचत और पारिवारिक निवेश के माध्यम से आंशिक रूप से वित्त पोषित शुरू किया था।

 

आज मरियम का व्यवसाय 19-सदस्यीय, 2,200sqft, 90-सीटर रेस्तरां है। इसमें रोजाना करीब 150 ग्राहक आते हैं।

 

9.पुनीत कंसल सफल बिजनेस मैन की कहानी

 

2009 में 18 वर्षीय उद्यमी पुनीत कंसल ने अपने काठी रोल व्यवसायरोल्स मेनिया की शुरुआत मात्र 20,000 रुपये से की थी। वह मगरपट्टा शहर के एक रेस्तरां के बाहर एक टेबल के आकार का कियोस्क चला रहे थे और उनके पास सिर्फ एक शेफ था।

 

सोर्सिंग और अकाउंट से लेकर डिलीवरी तक उन्होंने स्वय यह सब किया। उन्हें कियोस्क खाली करने के लिए कहा गया थाइसलिए उन्होंने उसी इमारत में एक आउटलेट स्थापित करने का फैसला किया।

 

पुनीत जी का कहना है की शुरू मेंमेरे पास सिर्फ एक कियोस्क थाऔर मुझे हर दिन ग्राहकों की बढ़ती संख्या मिल रही थी। इस अवधि के दौरानमुझे गगन सियाल और सुखप्रीत सियाल नामक दोस्त और साथी मिलेउन्होंने पहले ही रेस्तरां उद्योग में अपना पैर जमा लिया था। फिर हमने एक पंजीकृत कंपनी के रूप में रोल्स मेनिया का गठन कियाऔर 2010 में दूसरा आउटलेट खोला।

 

तीनों ने मिलकर एक साथ अच्छा काम किया और ब्रांड को मजबूती से आगे बढ़ायाइसे फ्रैंचाइज़ी मॉडल के माध्यम से 30 से अधिक शहरों में फैले 102 आउटलेट के साथ 35 करोड़ रुपये के व्यवसाय में बदल दियाऔर प्रत्येक दिन लगभग 12,000 रोल बेच रहे हे।

 

      दोस्तों हमने कई सफल बिजनेस मैन की कहानी पढ़ी लेकिन दोस्तों हमे इन सफल बिजनेस मैन की कहानी से कुछ सीखना चाहिए की कैसे इन्होने कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास से सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता प्राप्त की, दोस्तों में यक़ीनन कह सकता हूँ की अगर आप भी कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास रखेंगे तो निश्चित ही एक सफल बिजनेस मैन बन सकते है। उक्त आंकड़े कुछ पूर्व इन्टरनेट पर दिए गये वेबसाइट से लिए गये है इसलिए परिवर्तित हो सकते है।

 


 

22.गुड़िया की कहानियां | Gudiya Ki Kahaniyan


 


1 - मेरी पसंदीदा गुड़िया | Gudiya Ki Kahaniyan

 

मीना नाम की एक लड़की थी जो अपने परिवार के साथ रहती थी। उसके स्कूल के पास एक दुकान थी जहाँ वह मिठाईखिलौने और स्कूल की नोटबुक खरीद सकती थी।


हर स्टडी ब्रेक में मीना दुकान पर खिलौनों को देखने जाती थीखासकर एक गुड़िया को देखने के लिए जिसे वह वास्तव में बहुत पसंद करती थी।

 

एक दिन उसकी माँ ने मीना को गुड़िया की ओर देखते हुए देखाऔर इसलिए मीना की माँ ने मीना के लिए इसे खरीदने का फैसला किया।

 

अगले दिनजब मीना स्कूल से घर पहुंचीतो वह अपने कमरे में गई और वहाँ बिस्तर पर वह गुड़िया रखी थी । मीना गुडिया को देख कर बहुत खुश हुई अब वह बहुत खुश थी और रोज अपनी पसंदीदा गुड़िया के साथ खेलती थी।

 

एक दिन वह अपनी पसंदीदा गुड़िया के साथ खेल रही थी कि मीना की लापरवाही से गुडिया टूट गई। मीना रोने लगी और उसने अपनी बहन को फोन किया।

 

उसकी बहन ने उसके लिए एक नई गुड़िया खरीदी और मीना बहुत खुश हुई। वह नई गुड़िया को भी पसंद करती थी लेकिन अपनी पसंदीदा गुड़िया के बारे में कभी नहीं भूली लेकिन मीना ने अपने खिलौनों की देखभाल करना सीख लिया।

 

2 - दादी माँ की गुड़िया | Gudiya Ki Kahaniyan

 

एक छोटी लड़की के पास एक गुड़िया थी जिसे वह इतना प्यार करती थी कि वह उसे बहुत सावधानी और प्यार से रखती थीहालांकि उसके दोस्त उस पर गुडिया से इतना प्यार और सावधानी रखने के लिए हंसते थे।

 

समय बीतने के साथलड़की बड़ी हो गईघर चली गईएक वयस्क बन गईशादी कर लीबच्चे पैदा हुएऔर अंत में कई पोते-पोतियों के साथ एक प्यारी बूढ़ी औरत बन गई।

 

एक दिनवह अपने मूल शहर में लौट आईऔर अपने छोड़े हुए पुराने घर को देखा और अंदर चली गई। सैकड़ों पुरानी चीजों में बूढ़ी औरत को उसकी गुड़िया मिली। उसने अपने बचपन की तरह उसकी देखभाल की । वह उसे अपनी पोती को देने के लिए अपने साथ घर ले गईऔर उसकी पोती ने भी उस गुड़िया को बहुत प्यार किया।

 

हर बार जब बूढ़ी औरत ने अपनी पोती को उसके साथ खेलते हुए देखातो खुशी के आंसू उसके गालों पर लुढ़क जातेऔर वह बहुत खुश होती थी, क्योंकि उसकी पोती भी गुड़िया की इतनी अच्छी तरह से देखभाल करती थी और उससे प्यार करती थी।

 

 

3 - गरीब छोटी गुड़िया | Gudiya Ki Kahaniyan

 

एक बार एक सीमा नाम की लड़की थी उसके पास ट्विंकल नाम की एक गुडिया थी, ट्विंकल एक छोटी सस्ती वाली गुड़िया थी जिसे बाजार में एक स्टॉल पर पांच रुपये में खरीदा गया था। उसके सिर पर कम बाल थे और घटिया रबर से बनी थी और उसके हाथ और पांव जो हमेशा बाहर की बजाय अंदर की ओर मुड़ते थे। फिर भी उसकी कांच की आँखों में मनोरंजन की अभिव्यक्ति थी और सीमा के लिए वो गुडिया अकेलेपन में एक जीवित इंसान से ज्यादा जरूरी थी ।

 

एक दिन सीमा के भाई ने सीमा के हाथ से गुडिया छीन ली और उसे घर के पार्क में ले जाकर लटका दिया और बोला की ये गुडिया अब घर के पार्क में आने वाली चिड़िया को डराने के काम आएगी ।

 

सीमा बहुत रोई और चिल्लाई मगर उसके भाई ने एक ना सुनी, दोनों बहन भाई झगडा कर रहे थे इतने में उनकी माँ वंहा आई और उनसे बोली की एक गुडिया एक छोटी लड़की के लिए बहुत जरुरी होती है गुडिया छोटी लड़कियों के अकेलेपन का सहारा होती है और लड़कियों को तेयार होना और जिम्मेदार होना सिखाती है और गुडिया महंगी हो या सस्ती इससे कोई फर्क नहीं पडता है वो किसी छोटी लड़की की सबसे सच्ची दोस्त होती है ।

 

यह सुनकर सीमा के भाई ने ट्विंकल गुडिया को वापस पेड़ से उतार कर सीमा को लाकर दे दिया ।

 


 

23.होशियार बिल्ली और मुर्ख शेर की कहानी

 


दोस्तों यह एक होशियार बिल्ली और शेर की कहानी है। एक बार एक जंगल में एक होशियार बिल्ली रहती थी। उस जंगल के सभी जानवर खुशी से एक साथ रहते थे। बिल्ली बहुत होशियार थी और हमेशा अन्य जानवरों की मदद करती थी। इसलिए सभी जानवर बिल्ली का बहुत सम्मान करते थे।

 

एक बार जंगल में एक शेर आया। जब भी उसे भूख लगतीवह बहुत सारे जानवरों को मार देता था। लेकिन इतने सारे जानवरों को मारने के बाद भीवह केवल एक या दो जानवरों को खाता था और सभी को छोड़ देता था। शेर की इस हरकत से सभी जानवर डर गए ।

 

फिर एक दिन सभी जानवर बिल्ली के पास इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए गए। बिल्ली ने उन सभी को ध्यान से सुना और एक योजना बनाई। तब बिल्ली और कुछ अन्य जानवर शेर से मिलने गए।

 

बिल्ली और शेर की कहानी

 

उन्होंने शेर से कहातुम्हारे द्वारा बहुत सारे जानवर मारे जाते हैं। यदि आप जानवरों को मारते रहेंगेतो जल्द ही इस जंगल से सभी जानवर नष्ट हो जाएंगे। शेर ने कहाअगर मैं जानवरों को नहीं मारूंगा तो मैं क्या खाऊंगा।

 

तब होशियार बिल्ली ने कहामहाराज हमारे पास आपकी भूख के लिए एक योजना है। हम आपकी गुफा में प्रतिदिन एक जानवर भेजेंगे। आप उसे अपने खाने के लिए मार सकते हैं। और इस तरह आपको अपना खाना अपनी जगह पर मिलेगा और शिकार पर नहीं जाना पड़ेगा।

 

शेर इस योजना से बहुत खुश हुआ और वो मान गया और बोला अगर मुझे जानवर नहीं मिला तो मैं तुम सबको मार दूंगा।

 

और इस तरह हर दिन एक जानवर शेर की गुफा में जाता थाजिसे शेर मार कर खा लेता था और जल्द ही शेर का भोजन बनने के लिए बिल्ली का दिन भी आ गया ।

 

बिल्ली ने सोचा आज मुझे मरना है। इसलिए आज में जंगल में घुमुंगी और शेर की गुफा में देर से जाउंगी । घूमते हुए बिल्ली ने जंगल के बीच में एक बड़ा और गहरा कुआं देखा। और घूमते घूमते शाम को शेर की गुफा में पहुंची ।

 

बिल्ली और शेर की कहानी

 

शेर इतना भूखा था और गुस्से में भी था। उसने बिल्ली पर गुस्सा उतारा और पूछा कि तुम देर से क्यों आई हो। लेकिन होशियार बिल्ली डरती नहीं थी।

 

बिल्ली ने शेर को बताया कि वह आ रही थीलेकिन ...

 

शेर ने पूछालेकिन क्या ???

 

बिल्ली ने कहा प्रिय राजा जब मैं आपके पास आ रही थीमैंने जंगल के बीच में एक बड़ा शेर देखा। उसने मुझे पकड़ लियालेकिन किसी तरह मैं उसे चकमा देकर तुम्हारे पास आयी हूँ और बड़े शेर ने कहा कि वह इस जंगल का राजा है।

 

शेर दहाड़ कर बोलावो कोन दुष्ट है जिसने इस जंगल का राजा बनने की हिम्मत की है। मेरे अलावा इस जंगल में कोई और शेर राजा नहीं हो सकता है। इसलिए मुझे उस शेर के पास लेकर चल आज में उसे मार दूंगा ।

 

बिल्ली और शेर की कहानी

 

तब बिल्ली शेर को जंगल के बीच में ले गई जहां कुआं था। बिल्ली ने कुएं के पास इशारा किया और कहाप्रिय राजाबड़े शेर ने मुझे यंहा पकड़ लिया था।

 

शेर कुएं के पास आया और अंदर झांक कर देखा। उसने कुएं के पानी में खुद की छाया देखी। उसने दहाड़ कर कहातुम कौन हो ? आवाज गूंज गई ‘तुम कौन हो ?

 

शेर ने कहा, "मैं इस जंगल का राजा हूं।" और फिर से आवाज गूँजी, "मैं इस जंगल का राजा हूँ।"

 

तब शेर को बहुत गुस्सा आयाऔर वह अपनी छाया को मारने के लिए कुएं में कूद गया। वह कुएँ में डूब गया और मर गया।

 

और इस प्रकार होशियार बिल्ली ने अपने जीवन और अन्य जानवरों के जीवन को बचाया। जंगल के सभी जानवर इतने खुश थे। और इस तरह फिर से बिल्ली और सभी जानवर खुशी से जंगल में रहने लगे।

 

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