saanp aur nevle ki kahani
सांप और नेवले की कहानी

सांप और नेवले की कहानी

 

एक बार एक गाँव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। एक दिन उनके घर एक पुत्र पैदा हुआ। ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने उसका नाम श्याम रखा । अब ब्राह्मण का परिवार पूर्ण हो चूका था । अब वह दोनों बहुत खुश थे ।

 

ब्राह्मण ने सोचा कि घर में बच्चे के लिए एक पालतू जानवर होना चाहिए ताकि वह उसकी रक्षा कर सके और उसके लिए एक साथी भी बन सके। वह पालतू जानवर की तलाश बाजार गया लेकिन उसे कोई भी जानवर नहीं मिला । अंत में उसे एक नेवला दिखाई दिया । ब्राह्मण ने नेवले को गोद में उठा लिया । ब्राह्मण नेवले को अपने घर ले आया।

 

ब्राह्मण की पत्नी को एक पालतू जानवर के रूप में नेवला पसंद नहीं आया उसके मन में नेवले के प्रति अजीब अजीब ख्याल आते थे । ब्राह्मण की पत्नी को लगता था की कही ये नेवला उसके मासूम बच्चे को कोई नुकसान ना पहुंचा दे । इस लिए ब्राह्मण की पत्नी हमेशा नेवले से थोडा दुर्व्यवहार करती थी ।

 

सांप और नेवले की कहानी

 

कुछ समय बाद नेवले और ब्राह्मण के बच्चे की बीच में अच्छी दोस्ती हो गयी । ब्राह्मण का बच्चा और नेवला दिन भर साथ खेलते थे और नेवला हमेशा उसकी मदद और सुरक्षा करता था ।

 

ब्राह्मण नेवले को भी अपने बच्चे के समान ही प्यार करता था लेकिन ब्राह्मण की पत्नी के मन में नेवले के प्रति अभी भी संदेह था ।

 

एक दिन ब्राह्मण की पत्नी को बाजार से सब्जियां लानी थी इसलिए ब्राह्मण की पत्नी ने ब्राह्मण को कहा की वह सब्जियां लेने बाजार जा रही है आप बच्चे का ध्यान रखना बच्चा झूले में सो रहा है । यह कह कर ब्राह्मण की पत्नी बाजार चली गयी ।

 

सांप और नेवले की कहानी

 

ब्राह्मण काफी देर तक तो घर पर बेठा रहा लेकिन कुछ समय पश्चात कुछ लोग ब्राह्मण को पूजा के लिए बुलाने आ गये । ब्राह्मण ने नेवले को कहा की वह पूजा के लिए बाहर जा रहा है । बच्चा झूले में सो रहा है तुम बच्चे का ध्यान रखना । यह कह कर ब्राह्मण भी पूजा के लिए बाहर चला गया ।

 

थोड़ी देर बाद ब्राह्मण की पत्नी सब्जी खरीद कर घर लोटी तो उसने देखा की नेवले का मुंह पूरा खून से भरा है और नेवला घर के गेट पर बेठा है ।

 

नेवले को खून से भरा देख ब्राह्मण की पत्नी ने अपने हाथ में जो सब्जी का थेला था उसको नेवले के ऊपर गिरा दिया और जल्दी से अपने घर में भाग कर गयी ।

 

ब्राह्मण की पत्नी ने कमरे में देखा की उसका बच्चा झूले में एक दम सही सलामत सो रहा है और झूले के पास एक सांप मरा हुआ पड़ा है । ब्राह्मण की पत्नी को अब पता लग चूका था की नेवले ने बच्चे के हिफाजत के लिए इस सांप से लड़कर उसे मार दिया था और नेवले के मुंह पर जो खून लगा था वो इसी मरे हुए सांप का था ।

 

सांप और नेवले की कहानी

 

ब्राह्मण की पत्नी जल्दी से बाहर गयी परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी नेवला मर चूका था । अब ब्राह्मण की पत्नी को बड़ा अफ़सोस हो रहा था की उसने बिना कुछ सोचे समझे नेवले पर सब्जी का थेला मार दिया और नेवला मर गया ।

 

इतने समय में ब्राह्मण भी घर आ गया । ब्राह्मण की पत्नी ने ब्राह्मण को सारी बात बताई । ब्राह्मण और उसकी पत्नी को बहुत दुख हो रहा था । लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था ।

 

शिक्षा :- जल्दबाजी में कोई काम न करें और कोई भी काम करने से पहले सोचे ।

 

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