ullu, kauwa aur koyal ki kahani
उल्लू, कौवा और कोयल की कहानी

 

उल्लू, कौवा और कोयल की कहानी

 

दोस्तों आज की कौवा और कोयल की कहानी बड़ी ही मजेदार है आज की इस कहानी में आप जानेंगे की कौवा कोयल के अंडे की रक्षा क्यों करता है और उल्लू रात में ही क्यों निकलता है दोस्तों ऐसे काल्पनिक कहानियों को पढने में बड़ा ही मजा आता है तो चलिए पढ़ते है कौवा और कोयल की कहानी ........

 

दोस्तों एक बार एक शरारती लड़का खेलने के लिए अपनी गुलेल को लेकर जंगल में गया। उसने एक उल्लू और एक चिड़िया को एक पेड़ की शाखाओं के बीच बैठे देखा और उसने चिड़िया को मारने के लिए चिड़िया पर अपनी गुलेल से एक मिट्टी की गोली मार दी। गोली उल्लू के शरीर में घुस गई और उल्लू को बहुत दर्द हुआ। वह अपने दोस्त कौवा के पास गया और उससे मदद मांगी।

 

कौवा ने कहा "मुझे खेद है कि मैं डॉक्टर नहीं हूँ, और मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता हूँ। "लेकिन मैं तुम्हें मेरी दोस्त, कोयल के पास ले जा सकता हूँ। वह एक चतुर डॉक्टर है।' उल्लू खुश हुआ और वह कौए के साथ कोयल के पास गया।

 

कोयल को उल्लू बिल्कुल पसंद नहीं था। कोयल ने कहा की "मैं उल्लू को वर्षों से जानती हूँ अगर में इसका इलाज कर दूंगी लेकिन यह मेरी फ़ीस नहीं देगा ।

 

उल्लू, कौवा और कोयल की कहानी

 

कोयल की बात सुनकर उल्लू दुखी हो गया। कौवा भी उदास हो गया। लेकिन कौवा ने उल्लू से फीस लेने और कोयल देने का वादा किया।

 

कोयल ने कौवा की बात मान ली और कोयल ने उल्लू की जाँच की और उससे कहा, "जाओ और पानी के एक कुंड में थोड़ी देर बैठो और तुम्हें दर्द महसूस नहीं होगा।"

 

उल्लू ने कोयल की सलाह मानी और पानी के एक कुंड में बैठ गया। कुछ ही देर में मिट्टी की गोली पानी में घुल गई और दर्द बंद हो गया। लेकिन उल्लू को ज्यादा खुशी नहीं हुई। उल्लू ने मन ही मन सोचा की यह उपचार तो बहुत आसान है और मैं इसे अच्छी तरह से जानता था। केवल, मुझे यह याद नहीं आया ।

 

जल्द ही अंधेरा हो गया और उल्लू अपने घोंसले में वापस चला गया। कुछ देर बाद कोयल उल्लू से मिली और उल्लू से पूछा क्यों भाई अब कैसा लग रहा है। उल्लू ने कहा "ओह, बहुत अच्छा लग रहा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

 

उल्लू, कौवा और कोयल की कहानी

 

कोयल खुश हुई और उल्लू से अपनी फीस की मांग की, लेकिन उल्लू ने बात बदल दी और दूसरी बातें करने लगा, कोयल ने कई बार अपनी फीस मांगी लेकिन हर बार उल्लू कोई और बात करने लग जाता।

 

अंत में कोयल ने क्रोधित स्वर में कहा, "तुम मेरी फीस कब देने वाले हो ? उल्लू ने उत्तर दिया, "मैं उस साधारण इलाज के लिए आपको कोई शुल्क नहीं दे सकता। वास्तव में तुमने नहीं मुझे तो पूल के पानी ने ठीक किया है ।" फिर उल्लू ने कोयल को अपने घोंसले से बाहर निकाल दिया।

 

कोयल को उल्लू पर बहुत गुस्सा आ रहा था कुछ देर बाद कोयल कौवा के पास गयी और उसने कौवे से कहा, "तुम्हारा अच्छा दोस्त उल्लू मेरे इलाज के बाद काफी अच्छा है, लेकिन उसने मेरी फीस देने से इनकार कर दिया। वह कहता है कि उसे पूल के पानी ने ठीक किया ।

 

कौवा ने कोयल से कहा "इतना गुस्सा मत करो,", "मेरे दोस्त उल्लू को मजाक करने की आदत हैं। चलो, में तुम्हे तुम्हारी फीस दिलवाता हूँ।

 

उल्लू, कौवा और कोयल की कहानी

 

उल्लू के घोंसले के पास जाकर कौवा ने आवाज लगाई, "काउ, काव, काव," लेकिन उसे उल्लू से कोई जवाब नहीं मिला । उल्लू का घोंसला खाली था।

 

कोयल और भी अधिक क्रोधित हो गई। उसने कौवे से कहा "मुझे अपनी फीस ही चाहिए" । आपने मेरी फीस देने का वादा किया था। कृपया मुझे मेरी फीस अभी के अभी भुगतान करें।" लेकिन कौवा भुगतान नहीं कर सका। क्योंकि वह बहुत ही गरीब था।

 

अंत में कोयल इस मामले को तोते के पास ले गई। न्यायाधीश तोते ने सब कुछ सुना और कहा की, कौवे ने कोयल से वादा किया था कि वह उल्लू से फीस लेकर कोयल को दे देगा। अब उल्लू ने भुगतान करने से इंकार कर दिया है और कौवा वास्तव में बहुत गरीब है और स्वयं भुगतान नहीं कर सकता है। इसलिए कौवा कोयल की सेवा करेगा और  कोयल के अंडों की देखभाल करेगा।

 

कौवा कोयल की यह सेवा करने के लिए राजी हो गया, लेकिन उल्लू से बहुत ही ज्यादा नाराज़ हो गया। वह उल्लू को मारना चाहता था।

 

ऐसे में उल्लू की जान को खतरा होता है और उल्लू डर के मारे पेड़ों के खोखले हिस्से में छिप जाता है और दिन में कभी बाहर नहीं निकलता है। और कौवे से सुरक्षित रहने के लिए वह रात में ही बाहर निकलता हैं। और कौवा कोयल के अंडों की देखभाल करता है।